भारत में 91 से 360 दिन तक का बकाया क्रेडिट कार्ड पेमेंट एक साल में 44.34% बढ़ा है। मार्च 2025 तक यह राशि 33,886.5 करोड़ रुपए हो गई, जो मार्च 2024 में 23,475.6 करोड़ रुपए थी। यानी, एक साल में ही करीब 10,410.9 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। ये वो बकाया है जो लोग तीन महीने से ज्यादा समय से नहीं चुका पाए हैं। बैंकिंग नियमों में इसे “नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स” (NPA) यानी खराब कर्ज माना जाता है। सीआरआईएफ हाई मार्क की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। CRIF हाई मार्क रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी, RBI के साथ रजिस्टर्ड एक क्रेडिट ब्यूरो है। 91-180 दिन के बकाया सेगमेंट में सबसे ज्यादा तनाव इस ओवरड्यू सेगमेंट में बकाया राशि बढ़कर 29,983.6 करोड़ रुपए हो गई है, जो पिछले साल 20,872.6 करोड़ रुपए थी। यह राशि मार्च 2023 के स्तर से लगभग दोगुनी हो चुकी है। ये आंकड़े न सिर्फ क्रेडिट पर बढ़ती निर्भरता को दिखाते हैं, बल्कि समय पर भुगतान करने की बढ़ती अक्षमता या अनिच्छा को भी दर्शाते हैं। पोर्टफोलियो एट रिस्क बढ़कर 8.2% हुआ सीआरआईएफ हाई मार्क की रिपोर्ट में एक और चिंताजनक आंकड़ा सामने आया है, जिसे “पोर्टफोलियो एट रिस्क” (PAR) कहा जाता है। ये वो हिस्सा है जो बताता है कि क्रेडिट कार्ड का कितना कर्ज जोखिम में है। मार्च 2025 में 91-180 दिन के बकाए में PAR 6.9% से बढ़कर 8.2% हो गया। इसी तरह 181-360 दिन के बकाए में PAR 0.9% से बढ़कर 1.1% हो गया, जो 2023 में 0.7% था। ये आंकड़े बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड का कर्ज न सिर्फ बढ़ रहा है, बल्कि ये लंबे समय तक अनपेड रह रहा है। क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी बढ़ा क्रेडिट कार्ड बकाए में बढ़ोतरी देश भर में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में उछाल के साथ दिखी है। मार्च 2025 तक क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन वैल्यू 21.09 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई, जो पिछले साल 18.31 लाख करोड़ रुपए थी। यानी, इसमें करीब 15% की बढ़ोतरी हुई है। RBI के डेटा के मुताबिक क्रेडिट कार्ड की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। मई 2025 में देश में 11.11 करोड़ एक्टिव क्रेडिट कार्ड थे। मई 2024 में इसकी संख्या 10.33 करोड़ थी। क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल में तेजी का क्या कारण है? बैंकों और फिनटेक कंपनियों ने ऑफर्स के साथ क्रेडिट कार्ड को जमकर प्रचारित किया है। ग्राहक को कैशबैक रिवॉर्ड्स, ट्रैवल बेनिफिट्स, ब्याज-मुक्त EMI और एयरपोर्ट लाउंज एक्सेस जैसे फायदे दिखाए जाते हैं। इन फायदों के लिए ग्राहम इसका इस्तेमाल करते हैं। क्रेडिट कार्ड का बकाया बढ़ने के क्या कारण है? शहरों में रहने वाले कई लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड सिर्फ एक पेमेंट का तरीका नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है। लेकिन कार्ड स्वाइप करना जितना आसान है, बिल चुकाना उतना आसान नहीं। अगर समय पर बकाया नहीं चुकाया गया तो सालाना ब्याज दर 42% से 46% तक हो सकती है। लोग अक्सर ऑफर्स और रिवॉर्ड्स के चक्कर में फंस जाते हैं। लेकिन अगर वे समय पर पेमेंट नहीं करते या समय पर पूरा बिल नहीं चुकाते तो उसका कर्ज तेजी से बढ़ता जाता है। बकाए में बढ़ोतरी पूरे वित्तीय सिस्टम के लिए खतरा क्रेडिट कार्ड बकाए में इतनी तेज बढ़ोतरी न सिर्फ आम लोगों के लिए, बल्कि पूरे वित्तीय सिस्टम के लिए भी खतरा बन रही है। क्रेडिट कार्ड लोन असुरक्षित होते हैं। डिफॉल्ट्स बढ़ने से बैंकों की बैलेंस शीट पर बुरा असर पड़ सकता है और इससे लेंडिंग नियमों को और सख्त किया जा सकता है, जिससे क्रेडिट ग्रोथ धीमी पड़ सकती है। क्रेडिट ग्रोथ भारत में खपत को बढ़ाने वाला एक बड़ा फैक्टर है। खपत नहीं बढ़ेगी की तो हमारी इकोनॉमी भी तेजी से नहीं बढ़ेगी। इसका क्रेडिट कार्ड ग्राहकों पर क्या असर होगा? ग्राहकों के लिए, इसका सीधा असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। अगर आप बिल नहीं चुकाते, तो क्रेडिट कार्ड फ्रीज हो सकता है और आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है। इससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो जाता है। वहीं बैंक, कलेक्शन एजेंसीज को आपका केस सौंप सकते हैं, जो लगातार फोन और दबाव बनाकर पैसे वसूलने की कोशिश करती हैं।
क्रेडिट कार्ड बिल नही चुका पा रहे भारतीय:बकाया राशि 44% बढ़कर ₹33,886 करोड़ पहुंची, एक साल पहले ये ₹23,475 करोड़ थी
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