गजेंद्र फोगाट बोले- हरियाणवी गानों पर बैन में भूमिका नहीं:CM के OSD ने कहा- गानों से ग्रामीण कल्चर खत्म; पाकिस्तान की छोरी गाने पर धमकी मिली

by Carbonmedia
()

गन कल्चर व बदमाशी को बढ़ावा देने के आरोप में कई हरियाणवी गानों पर बैन लगाने और यूट्यूब से हटाने को लेकर हरियाणा में खूब विवाद चल रहा है। अब तक करीब 30 गाने बैन हो चुके हैं। सबसे ज्यादा 14 गाने जींद के रहने वाले हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा के हटाए जा चुके हैं। इनके अलावा अमित सैनी रोहतकिया, सुमित पारता, हर्ष संधू, राज मावर, अमनराज गिल, नरेंद्र भगाना, अंकित बालियान, गजेंद्र फोगाट के गाने शामिल हैं। गानों पर बैन को लेकर हरियाणवी सिंगर एक-दूसरे पर कीचड़ उछालते रहे हैं। इसमें सत्ता पक्ष के करीबी लोगों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इन विवादों के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के प्रचार OSD और हरियाणवी सिंगर गजेंद्र फोगाट ने बैन के पीछे अपनी कोई भूमिका होने से इनकार किया है। फोगाट का कहना है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार ने गानों पर बैन लगाने की कार्रवाई की है। वह चिंता जताते हैं कि हरियाणवी गानों में ग्रामीण कल्चर खत्म होता जा रहा है। वायरल होने के लिए चीजें बदल गई हैं। अपने जीवन का एक किस्सा सुनाते हुए फोगाट ने कहा कि उन्होंने ‘पाकिस्तान की छोरी’ गाना गाया था, इस पर उन्हें जान से मारने तक की धमकी मिली थी। यह भी कहा कि बचपन में परिवार के लोगों को मेरी सिंगिंग पसंद नहीं थी। वे लोग हमेशा कहते थे कि गाना गाने से करियर नहीं बनेगा। पिता की मरते वक्त भी इच्छा थी कि मैं गाना छोड़ दूं, लेकिन मैंने नहीं छोड़ा। उन्होंने यह भी दावा किया कि मैं हरियाणा का पहला रैपर हूं। दैनिक भास्कर से बातचीत में गजेंद्र फोगाट ने अपनी सिंगिंग की शुरुआत, खुद के संघर्ष, हरियाणवी गानों का बदलते कल्चर समेत विभिन्न विषयों पर बात की। अब सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए गजेंद्र फोगाट से क्या-क्या सवाल-जवाब हुए…. सवाल: गांव से ग्लैमर की दुनिया तक का सफर कैसा रहा? कब पहली बार लगा कि अब नाम बन गया?
जवाब: गांव में पैदा होकर शहर में पढ़ाई की। 12वीं के बाद सिंगिंग के प्रति मेरा प्रेम बढ़ता चला गया। जब मैंने ग्रेजुएशन किया और एमए में आया, तब मैंने ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा। 1999 में मैं भारत के पहले रियलिटी शो में विनर बना। वह शो मुंबई में शूट होता था और वहीं से प्रसारित होता था। गांव से ग्लैमर तक का मेरा सफर 1977 से 1999 के बीच रहा। 2006-2007 में मेरा एक एल्बम आया था, जिसमें एक गाना था “पानी आंख्यां का”। यह गाना लगभग हर युवा, बुजुर्ग समेत हर वर्ग की जुबान पर था। इस गाने को बहुत पसंद किया गया। तब मुझे लगा कि अब नाम बन गया। सवाल: भगवान शिव से जुड़ा आपका गाना ‘बम लहरी’ करीब 6 साल से इंस्टाग्राम पर ट्रेंडिंग में है। इस गाने के पीछे की कहानी क्या है?
जवाब: मेरा ये गाना हर त्योहार पर तो ट्रेडिंग में रहता ही है, ये आम दिनों में भी बहुत पसंद किया जाता है। ये गाना मुझसे एक कंपनी ने पूरे एक घंटे का लिखवाया था। मैंने स्टूडियो में एक ही दिन में ही लिखा और उसी दिन गाया भी था। शूटिंग भी उसकी एक ही दिन में रोहतक में की थी। इस गाने में लगभग 50 से ज्यादा लोगों का प्रोडक्शन था। जब ये शूट किया गया तो 100 से ज्यादा उसमें कलाकार थे। ये गाना जंगम जोगी पर बनाया गया है। सवाल: कुछ लोग कहते हैं कि आजकल हरियाणवी म्यूजिक से असलीपन गायब होता जा रहा है, आप क्या सोचते हैं?
जवाब: केवल हरियाणवी संगीत से ही नहीं, पूरे भारत के संगीत से असलीपन निकलता जा रहा है। पुराने गानों में शब्दों की गरिमा थी, भावनाओं की कद्र थी। अब के नए दौर में ऐसे गाने हैं कि शब्दों का ही मतलब पता नहीं लग पाता। सवाल: क्या आज का हरियाणवी म्यूजिक ग्रामीण कल्चर को रिप्रेजेंट कर रहा है या सिर्फ वायरल होने के लिए सबकुछ बदल गया है?
जवाब: आज के गानों में ग्रामीण कल्चर को बहुत ही कम रिप्रेजेंट किया जा रहा है। बहुत कम ऐसे गाने आते हैं, जिनमें ऐसा दिखाई नहीं देता है। ग्रामीण कल्चर की अपनी ही एक बात है, जोकि किसी भी तरह गन कल्चर व अन्य उत्तेजक चीजों को प्रमोट नहीं करता है। सवाल: हरियाणवी गानों में गाड़ियों, बंदूकों और ब्रांड्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है, इसके पीछे क्या सोच है?
जवाब: कल्चर में बदलाव आते हैं। ये ट्रेंड जो है वो बॉलीवुड में, साउथ साइड में, पंजाब में बहुत सालों से है, अब ये हरियाणा में भी आ गया। साउथ इंडियन मूवी में कितनी मारपीट दिखाते हैं, जबकि ये नहीं होना चाहिए। सवाल: आपके हिसाब से हरियाणवी म्यूजिक को पंजाबी म्यूजिक जैसा मेनस्ट्रीम बनने में क्या कमी है?
जवाब: पंजाब अपने संगीत को अपने धर्म के साथ जोड़ता है। वो अपनी भाषा को गुरबाणी बोलते हैं। जबकि, हमारे यहां ये दोनों ही कंसेप्ट नहीं है। हरियाणवी को हम लोग न तो धर्म के साथ जोड़ते हैं और न ही हम अपनी बोली को गुरुओं की बोली बोलते हैं। तीसरा कारण है कि हमारे यहां पर इंडस्ट्री डेवलप नहीं हो पा रही। इसके भी कई कारण है। पहला कारण है कि मेरे समय वाली पीढ़ी बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है। हरियाणा में नाचने गाने को बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। दूसरा अभी भी रूढ़िवादी विचार धाराओं का कहीं न कहीं प्रभाव है। जिस कारण परिवारों में एक सफल गायक होने का कोई सपना नहीं पालता है। मुझे खुद भी अपने माता-पिता से बहुत डांट खानी पड़ी है। तीसरा कारण यहां टेक्नीशियन की बहुत कमी है। यहां सभी करके सीखने वाले हैं, सीख कर करने वाले बहुत कम हैं। चौथा कारण हमारी हरियाणवी बोली को भाषा का दर्जा न मिलना है। सवाल: सोशल मीडिया पर कभी किसी गाने या लिरिक्स को लेकर ट्रोल हुए? उसे कैसे डील किया?
जवाब: किसी एक गाने को लेकर नहीं। मेरा एक गाना है ‘पाकिस्तान की छोरी’ उसमें मैं बहुत ट्रोल हुआ। पाकिस्तान से जान से मारने की धमकी तक मिली। इसको डील करने के लिए मैंने उस गाने के और ज्यादा शो बढ़ा दिए। लाइव शो किए। इस बार गीता जयंती पर कुरुक्षेत्र में भी गाया। सवाल: क्या कभी ऐसा वक्त आया जब लगा कि अब बतौर कलाकार म्यूजिक छोड़ दूं?
जवाब: ऐसा बहुत बार मौका आया। जब भी मेरे 10वीं में, 12वीं में, कॉलेज में नंबर कम आए तो पिताजी का हमेशा एक ही ताना होता था कि तू जो ये गाने-बजाने का काम कर रहा है न, इसकी वजह ये सब हो रहा है। बाहर अगर कही चोट लग जाती थी, तो भी गायकी पर गुस्सा फूटता था। ये कटाक्ष ही मेरी प्ररेणा बने। इस पर एक शेर याद आ गया, ‘चोट पर चोट देने का शुक्रिया, एक पत्थर को बुत बनाने का शुक्रिया, तुम न आते तो कौन बनाता मेरी सीढ़ियां, ऐ दीवारों मेरी राहों में आने का शुक्रिया, सूखा पुराना जख्म तो नए को जगह मिली, स्वागत है नए का और पुराने का शुक्रिया। मैं बच्चा सा मां की गोद में सिमट कर गिर पड़ा, नजरों से अपनी मुझे गिराने का शुक्रिया।’ सवाल: कभी किसी फैन ने ऐसा कुछ किया हो जो आपके दिल छू गया हो?
जवाब: मेरा एक फैन युवक किसी दूसरे प्रदेश से साइकिल पर चलकर मुझसे मिलने चंडीगढ़ आया। उसने फिर लाइव आकर कहा कि वह मुझसे मिलने आया था, लेकिन नहीं मिला। फिर मैंने उसे कॉल किया तो वो कैथल के पूंडरी पहुंच चुका था। फिर मैं उससे मिलने के लिए स्पेशल कैथल गया। एक मेरा फैन मेरा स्केच बनाकर घूमता रहा। 2 महीने बाद उसे मैं पकड़ में आया। एक ने मेरे नाम का टैटू तक बनवाया। ऐसे बहुत से फैन हैं, जिससे मुझे लगता है कि मरते दम तक गायकी नहीं छोडूंगा। सवाल: आप केंद्र सरकार की टीबी मुक्त भारत मुहिम से जुड़े हैं। रोहतक PGI ने भी आपको ऑर्गन ट्रांसप्लांट अवेयरनेस से जुड़े अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया। कितनी संतुष्टि मिलती है?
जवाब: भारत से 2025 तक टीबी खत्म करने के लिए हम कई तरह की ऐड तैयार कर रहे हैं, शो तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा, रोहतक PGI ने अंगदान के लिए मुझे ब्रांड एंबेसडर बनाया है, उस अभियान के लिए हम 3 अगस्त को स्टेट लेवल पर एक बड़ा कार्यक्रम करेंगे। मेरे मित्र है, जिन्होंने 20 जुलाई को अपने जन्मदिन पर शरीर दान के लिए मुझे कॉल की है। ये मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। कला जब समाज को एक रास्ता देने का माध्यम बनती है तो वो कला नहीं रहती, साधना बन जाती है। कला जब केवल अपने फायदे के लिए की जाती तो वो काम बन जाती है। मैं ये मानता हूं कि कला का अपना बाजार हो सकता है, कला बाजारू नहीं होनी चाहिए। सवाल: बतौर गायक किसी सिंगर या रैपर के साथ को-लैब करने का सपना है?
जवाब: मैं हरियाणा का पहला रैपर भी हूं। बतौर रैपर तो बिल्कुल नहीं, लेकिन बतौर गायक मेरे गुरु गुरदास मान के साथ गाने की इच्छा है। हालांकि उनके साथ कई बार गा भी चुका हूं, लेकिन फिर भी कभी मौका मिलेगा तो फिर गाऊंगा।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment