गणित में फिसड्डी, भाषा में भी नहीं पार! शिक्षा मंत्रालय के सर्वे में खुली देश के स्कूलों की पोल

by Carbonmedia
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देश के लाखों सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई की स्थिति कितनी गंभीर है, इसका खुलासा हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के एक बड़े सर्वेक्षण ‘परख’ में हुआ है. यह सर्वे पहले ‘राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)’ के नाम से जाना जाता था. रिपोर्ट के मुताबिक क्लास तीन के 47% बच्चों को 10 तक का पहाड़ा तक नहीं आता और सिर्फ 55% बच्चे ही 99 तक की गिनती को सही क्रम में रख पाते हैं.यह सर्वे 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों के 74,000 से ज्यादा स्कूलों में किया गया, जिसमें क्लास 3, 6 और 9 के करीब 21 लाख छात्रों ने भाग लिया. साथ ही 2.7 लाख से अधिक शिक्षकों और स्कूल प्रशासन से सवाल-जवाब किए गए.कक्षा तीन के हालात चिंताजनकक्लास तीन के बच्चों में गणित की बुनियादी समझ की बहुत कमी पाई गई. केवल 58% छात्र ही दो अंकों का जोड़-घटाव कर सके. यानी हर दूसरा बच्चा साधारण गणितीय सवालों को हल नहीं कर पा रहा है.कक्षा छह में गणित सबसे कमजोर कड़ीछठी कक्षा के बच्चों ने गणित में सबसे कम औसत अंक मात्र 46% हासिल किए. भाषा में औसत 57% और पर्यावरण-सामाजिक विषय ‘हमारे आस-पास की दुनिया’ में 49% अंक मिले. इसमें भी केवल 53% छात्र ही जोड़, गुणा और उनके उपयोग को ठीक से समझ पाए. शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि जिन विषयों में 50% से कम छात्रों ने सही उत्तर दिए, वहां सीखने में गंभीर रुकावटें हैं.कौन आगे, कौन पीछे?रिपोर्ट में केंद्र सरकार के स्कूलों का प्रदर्शन बेहतर पाया गया. इन स्कूलों के कक्षा 9 के छात्रों ने सभी विषयों में सबसे अच्छे अंक हासिल किए, खासकर भाषा में. वहीं, निजी स्कूलों के छात्रों ने विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन गणित में कमजोर साबित हुए.राज्य सरकार और सहायता प्राप्त स्कूलों का प्रदर्शन औसत रहा. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा तीन के बच्चों ने शहरी छात्रों से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन कक्षा छह और नौ में शहरी छात्रों ने बढ़त बना ली.आगे क्या?स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि यह सर्वे सिर्फ रिपोर्ट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके आधार पर देशभर में व्यापक सुधार की योजना बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि अब इस रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर एक बहु-स्तरीय रणनीति तैयार की जा रही है ताकि सीखने की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके.
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