भास्कर न्यूज | अमृतसर गणेश उत्सव महाराष्ट्र समेत सारे देश में मनाया जाता है। लोग गली-मोहल्ले ऑफिसों और पंडालों ने गणेश जी की प्रतिमा विराजमान करते हैं। यह पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी अनन्त चतुर्दशी को समाप्त होती है। गणेश उत्सव के पहले दिन भक्त बप्पा की मूर्ति घर लेकर आते हैं और विधि-विधान के साथ लाल कपड़ा रखकर स्थापित करते हैं। वहीं कई लोग तीन तो कोई पांच दिन और कुछ लोग 10 दिनों बाद गणपति का विसर्जन बहते पानी में करते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी बेहद खास है। क्योंकि इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। जैसे शुभ योग, शुक्ल योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग इसके अलावा हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र का संयोग भी इस दिन को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। 26 नहीं, 27 अगस्त को होगी स्थापना ज्योतिषाचार्य के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से शुरू होगी और 27 अगस्त दोपहर 3:44 बजे समाप्त होगी। इसी वजह से गणेश चतुर्थी और गणेश स्थापना का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। गणेश उत्सव का समापन 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी पर होगा, जो 6 सितंबर को पड़ेगी। इसलिए लोगों की ओर से मिट्टी के गणपति जी को घरों ऑफिसों और पंडालों में स्थापित किया जाएगा। पंडितों के मुताबिक मिट्टी के गणेश जी ही भक्तों की कामना पूरी करते हैं। वहीं शहर में इस बार पांच जगहों पंडाल लगेंगे और उनमें मिट्टी के गणेश विराजमान किए जाएंगे। वहीं पीओपी के गणपति जी को विराजमान करना परिवार के लिए सुखदायक नहीं होगा। शहर की सड़कों पर बिकने वाले ज्यादातर गणपति पीओपी के होते हैं। वहीं कई भक्त तो मिट्टी के गणपति को आर्डर पर तैयार करवाते हैं। इन जगहों पर लगेंगे पंडाल गणेश चतुर्थी के दिन शहर के पांच जगह गणपति जी के पंडाल लगाए जाएंगे। इसमें गोपाल मंदिर के पास, मजीठा रोड, बंगला बस्ती, शहर के अंदरूनी इलाको, चौक मौनी गणपति मठ मंदिर, शिवाला बाग भाइयां, कटड़ा बग्घियां समेत लोग अपने घरों में भी गणपति जी को विराजमान करेंगे। गणपति जी की सुबह शाम भजन और आरती होगी। फिलहाल कोलकाता के कारीगरों ने आकर मिट्टी के गणपति बनाने शुरू कर दिए हैं। उन्हें बनाने के लिए पंडितों द्वारा मंत्रोच्चारण करके प्रसाद वितरण किया जाता है। जबकि पीओपी के गणपति शहर की सड़कों पर सरेआम असानी से मिल जाते हैं। पंडित राजेश शास्त्री का कहना है कि पीओपी के गणपति जहां पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं वहीं बहते पानी में विसर्जन दौरान कभी नहीं गलते और भक्तों को दोष लगता है। जबकि मिट्टी के गणपति को अपने घर की बाल्टी में विसर्जन करके उनकी मिट्टी को गमले में डालकर पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे गणपति जी भक्तों के परिवार में सुख शांति बनाए रखते हैं। इसलिए जो लोग गणपति जी को अपने घर, आफिस या फिर कहीं भी विराजमान करें मिट्टी के करें।
गणेश चतुर्थी 26 को, पर 27 अगस्त को विराजेंगे गणपति
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