भास्कर न्यूज | लुधियाना गुरमत संगीत को वैश्विक पहचान दिलाने और पारंपरिक राग विधाओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से जवद्दी टकसाल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सलाना गुरमत संगीत कारजशाला-2025 का भव्य समापन हुआ। अंतिम दिन पद्मश्री शाहिद परवेज के सितार वादन ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उनके सुरों ने वातावरण को भक्ति और शांति से भर दिया। कार्यशाला में देशभर से आए विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों को गुरमत संगीत की गूढ़ विधाओं, अलंकारों और गायन की बारीकियों से परिचित कराया गया। कोलकाता की कुमारी सम्राजनी बनर्जी और भाई सहजदीप सिंह सहित कई प्रसिद्ध कलाकारों ने मंच साझा किया और अपने सुरों से कार्यशाला को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। प्रसिद्ध संगीतज्ञ उस्ताद जतिंदरपाल सिंह, उस्ताद इंद्रजीत सिंह बिंदु, उस्ताद मनिंदर सिंह, पंडित रमाकांत, प्रो. गोबिंदर सिंह आलमपुरी, डॉ. गुरिंदर सिंह बटाला, प्रो. प्रेम सागर, राजेश मालवीय, डॉ. गुरदयाल सिंह लाली और मैडम अवतार कौर ने विद्यार्थियों को राग, लय, अलाप, तान, गमक, मुरक, मीड और स्पॉट तानों की गहराई से शिक्षा दी। विलंबित लय से लेकर तार सप्तक तक का सफर विद्यार्थियों ने सुर और भाव के संतुलन के साथ आत्मसात किया। समापन अवसर पर संत बाबा अमीर सिंह ने सभी संगीतज्ञों और सहभागी कलाकारों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि जवद्दी टकसाल का उद्देश्य केवल संगीत सिखाना नहीं, बल्कि गुरमत ज्ञान को जीवनशैली में ढालना है। सिख समाज के ग्रंथी, कीर्तनिया और पाठी यदि गुरबाणी को संगीत सहित आत्मसात करें तो समाज को नशे और भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों से दूर ले जाया जा सकता है। अंत में उन्होंने गुरु साहिबान और संगत के सहयोग के लिए धन्यवाद प्रकट किया।
गुरमत संगीत कार्यशाला का समापन, सितार वादन से गूंजा भक्ति भाव
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