गुरुग्राम पुलिस पर बंगालियों को पकड़ने का आरोप:अवैध विदेशियों के शक में 74 लोग होल्डिंग सेंटर पहुंचाए, असम कॉन्स्टेबल का बेटा भी शामिल

by Carbonmedia
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गुरुग्राम में अवैध बंगलादेशी और रोहिंग्या को आईडेंटीफाई करने के अभियान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीपीआई ने पश्चिमी बंगाल के मुस्लिम लोगों को परेशान करने का आरोप पुलिस पर लगाया है। इनमें असम औद्योगिक सुरक्षा बल के कॉन्स्टेबल सन्नत अली का 23 वर्षीय बेटा अशरफुल इस्लाम भी बताया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके राज्य के लोगों को हिरासत में रखने की निंदा करते हुए इसे 2026 के राज्य चुनावों से पहले अल्पसंख्यक मतदाताओं को दबाने की राजनीतिक साजिश करार दिया है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के सात जिलों से 52 लोगों की पृष्ठभूमि सत्यापन के लिए गुरुग्राम पुलिस द्वारा जिला प्रशासन से संपर्क किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली-भाषी समुदायों के उत्पीड़न का विरोध किया जाएगा। भारतीय नागरिकों को देश में कहीं भी काम करने का अधिकार है। यह हमारी मातृभाषा और अस्मिता का अपमान है। इसके खिलाफ 27 जुलाई से भाषा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पुलिस जवान के बेटे को पकड़ने का आरोप असम औद्योगिक सुरक्षा बल के कॉन्स्टेबल सन्नत अली के बेटे अशरफुल को भी होल्डिंग सेंटर में भेजने का आरोप पुलिस पर लगाया गया है। वह असम के बारपेटा जिले के बारवाला गांव का निवासी है और कॉलेज की परीक्षाएं पूरी करने के बाद 13 जुलाई को गुरुग्राम पहुंचा था। उसने सेक्टर 10ए में एक निर्माण स्थल पर काम शुरू किया था। सन्नत अली के मुताबिक रविवार सुबह पुलिस ने अशरफुल और बारपेटा के आठ अन्य लोगों को काम के दौरान हिरासत में ले लिया।
अली का आरोप है कि उनके बेटे ने वोटर आईडी, आधार, पैन कार्ड और स्कूल सर्टिफिकेट जैसे वैध दस्तावेज़ पेश किए, लेकिन पुलिस ने इन्हें स्वीकार नहीं किया और उसे अवैध बांग्लादेशी बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी सेवा पहचान पत्र और मतदाता पहचान पत्र जैसे अतिरिक्त दस्तावेज़ भेजे हैं। असम पुलिस के एक अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि वे अशरफुल की रिहाई के लिए हरियाणा पुलिस के साथ कॉर्डिनेट कर रहे हैं। सीपीआई टीम ने किया दौरा
इस मामले को लेकर सीपीआई एमएल-लिबरेशन की एक टीम ने गुरुग्राम के होल्डिंग सेंटर का दौरा किया। टीम ने इस सेंटर को अनहाइजेनिक बताया है। उनका कहना है कि यहां मज़दूरों को एक छोटे हॉल में रखा गया है और दस्तावेज़ सत्यापन में देरी हो रही है।
हिरासत में लिए गए लोगों में हफीजुल भी शामिल है, जिसे 19 जुलाई को डूंडाहेड़ा गांव से कबाड़ इकट्ठा करते समय पकड़ा गया। उनके भाई अमनूर शेख के मुताबिक वे पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के निवासी हैं। हफीजुल ने आधार, वोटर आईडी, पैन कार्ड और पासपोर्ट दिखाया, जिसमें सऊदी अरब और मलेशिया की यात्रा का प्रमाण था। फिर भी पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया।
इसी तरह असम के ग्वालपाड़ा जिले के मिन्हाज अली के पास एनआरसी का सबूत और स्थानीय पुलिस से प्रमाण पत्र है। उसे भी हिरासत में रखा गया है। मिन्हाज का कहना है कि पुलिसवाले उसकी बात नहीं सुन रहे।
पश्चिम बंगाल के हरिरामपुर से आए एक परिवार ने बताया कि पुलिस ने हमारे तीन लोगों को दस्तावेज़ दिखाने के बावजूद हिरासत में लिया है और बंगाल से प्रमाण पत्र मांगा। परिवारवालों के फोन आ रहे हैं अखिल भारतीय श्रमिक स्वराज केंद्र के सदस्य और कूड़ा बीनने वाले मुकुल हसन शेख ने पुलिस पर बंगाली-भाषी मुस्लिमों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि मैंने सेक्टर गुरुग्राम के होल्डिंग केंद्रों का दौरा किया। परिवारों से सैकड़ों घबराहट भरे फोन आ रहे हैं। उन्हें लगता है कि गुरुग्राम में 200 से अधिक मज़दूर हिरासत में हैं। गुरुग्राम पुलिस का पक्ष इस बारे में पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने बताया कि पुलिस गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कर रही है। हम संदिग्ध व्यक्तियों का विवरण उनके गृह राज्य के जिला मजिस्ट्रेट को सत्यापन के लिए भेजते हैं। पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने पर छोड़ दिया जाता है और अगर पुष्टि नहीं होती है तो उसके निर्वासन की प्रक्रिया शुरू की जाती है। चार पुलिस जोन में होल्डिंग सेटर बनाए गए हैं और सही नागरिकों को परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है।

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