भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गुरुग्राम जिले के शिकोहपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा खरीफ फसलों में समन्वित कीट प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम खंड कृषि अधिकारी कार्यालय, पटौदी में संपन्न हुआ। इसमें पटौदी और फर्रुखनगर खंडों के 30 कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण प्रभावित पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. भरत सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से पर्यावरण प्रभावित होता है। इससे खाद्य श्रृंखला में भी विषाक्तता आती है। ऐसे में समेकित कीट प्रबंधन (IPM) एक व्यावहारिक और पर्यावरण हितैषी समाधान है। विभिन्न फसलों की दी जानकारी डॉ. सिंह ने खरीफ सीजन की विभिन्न फसलों के बारे में जानकारी दी। इनमें अरहर, मूंग, सोयाबीन, ग्वार, तिल, धान, बाजरा, मक्का और सब्जियां शामिल हैं। उन्होंने इन फसलों में लगने वाले प्रमुख कीटों से बचाव के तरीके बताए। विशेष रूप से फॉल आर्मी वॉर्म और अमेरिकन वॉल वॉर्म से बचाव के लिए नवीनतम समन्वित तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की। किसानों को उपयोगी सुझाव दिए डॉ. भरत सिंह ने किसानों के लिए उपयोगी सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि निगरानी, बीज उपचार, फसल चक्र, संतुलित उर्वरक और जल प्रबंधन जैसे गैर-रासायनिक उपायों को अपनाकर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में खंड कृषि अधिकारी सतीश सिंघला ने कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं से अपील की। वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि वे इस प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को सीधे किसानों तक पहुंचाए। इससे खेतों में कीट प्रबंधन की आधुनिक और व्यावहारिक तकनीकों का अधिकाधिक उपयोग हो सकेगा। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का आभार भी व्यक्त किया।
गुरुग्राम में खरीफ फसलों में कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण:30 कृषि प्रसार कार्यकर्ता रहे शामिल, पर्यावरण हितैषी तकनीक सिखाई
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