गुरुग्राम में Blinkit राइडर की दुखद मौत:बिल के लिए अस्पताल पर शव रोकने का आरोप, तीन महीने पहले हुई थी शादी

by Carbonmedia
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गुरुग्राम में Blinkit के डिलीवरी बॉय की अचानक मौत हो गई है। लाखवास गांव में रहने वाले कर्मबीर को कई दिन से बुखार आ रहा था। जिस पर उसे बादशाहपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां बुधवार सुबह उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि बिल के 70 हजार नहीं होने की वजह से अस्पताल ने शव देने से मना कर दिया। जिसके बाद पुलिस बुलाई गई, उसके बाद डेडबॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस को सौंपी गई। हालांकि पुलिस की तरफ से अभी किसी तरह का केस दर्ज नहीं किया गया है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस पहुंचने पर दिया शव मृतक कर्मबीर के चचेरे भाई दीपक ने बताया कि 26 साल का कर्मबीर Blinkit कंपनी में डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहा था। उसकी अचानक मौत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। यह त्रासदी तब और दर्दनाक हो गई, जब निजी अस्पताल ने बकाया बिल के चलते कर्मबीर का शव परिजनों को सौंपने में कई घंटे तक देरी कर दी। परिजनों के आक्रोश और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही शव सौंपा गया। दो लाख भर चुका परिवार उन्होंने बताया कि परिवार ने अस्पताल में पहले ही 2 लाख रुपए जमा कराए थे, लेकिन अस्पताल ने 70,000 रुपए और जमा करने की मांग की। बकाया राशि न होने के कारण परिवार शव लेने में असमर्थ था। कई घंटों की बातचीत और मानसिक पीड़ा के बाद परिजनों ने पुलिस से मदद मांगी। पुलिस के दबाव में अस्पताल ने आखिरकार शाम को कर्मबीर का पार्थिव शरीर परिजनों को सौंपा। दो महीने पहले ही हुई थी शादी कर्मबीर की दो महीने पहले ही शादी हुई थी और परिवार में खुशियों की उम्मीद जगी थी, लेकिन अचानक से मौत हो गई। परिवार पर टूटा दुखों का सिलसिला कर्मबीर का परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी और व्यक्तिगत नुकसानों से जूझ रहा था। पिता सेठी की मेहनत और कर्मबीर की कमाई ही परिवार का सहारा थी। लेकिन अब कर्मबीर की असमय मृत्यु ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है। एक साल के भीतर मां और जवान भाई की हो चुकी मौत कर्मबीर के परिवार की यह पहली त्रासदी नहीं थी। आठ महीने पहले उनके छोटे भाई 18 साल के अंकित की बुखार के कारण मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा एक साल पहले कर्मबीर की मां रूमा का भी बुखार और लीवर की बीमारी के चलते निधन हो गया था। रूमा पिछले सात-आठ सालों से बीमार थीं। अब परिवार में केवल कर्मबीर का पिता सेठी बचे हैं, जो फल बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं।

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