Gorakhpur News: सनातन विचार दर्शन एवं संस्कृति में गुरु-शिष्य के रिश्ते को प्रतिष्ठित करने वाले पावन पर्व गुरु पूर्णिमा गोरक्षपीठ के लिए विशेष होती है. यह वह अवसर होता है जब गोरक्षपीठाधीश्वर नाथपंथ के आदिगुरु महायोगी गोरखनाथ सहित पीठ के अपने पूर्ववर्ती गुरुजनों की पूजन-स्तुति करते हैं और तदुपरांत अपने शिष्यों और गोरक्षपीठ के श्रद्धालुओं को स्नेहाशीष से अभिसिंचित करते हैं. गोरक्षपीठ की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर शिष्य और गुरु दोनों भूमिकाओं में दिखेंगे.
यूं तो गोरक्षपीठ, गोरखनाथ मंदिर में धर्म-अध्यात्म की मंगलध्वनि अहर्निश गुंजायमान रहती है, पर गुरु पूर्णिमा का पर्व यहां बेहद खास होता है. इस दिन के विशेष आयोजन में सहभागी बनने की गोरक्षपीठ के श्रद्धालुओं की उत्कंठा प्रबल होती है. नाथपंथ मुख्यतः गुरुगम्य मार्ग है. इस लिहाज से गोरक्षपीठ और गुरु पूर्णिमा का अटूट नाता है. गुरु-शिष्य परंपरा इस पीठ के मूल में है. गुरु परंपरा से ही नाथ परंपरा आगे बढ़ी है. यही वजह है कि गोरक्षपीठ, गुरु परंपरा के प्रतीक के तौर पर पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित है. हर काल में इस परंपरा को कायम रख पीठ ने कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है. शिवावतार भगवान गोरखनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथपंथ के मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी.
दिग्विजयनाथ महाराज ने शिक्षा को माना था सशक्त माध्यमगुरु परंपरा के लोक कल्याणकारी कार्यों के अनुगमन में गोरक्षपीठ की गत-सद्यः तीन पीढ़ियां तो कीर्तिमान रचती नजर आती हैं. गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने लोक कल्याण के लिए शिक्षा को सबसे सशक्त माध्यम बनाते हुए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की. उदात्तमना ब्रह्मलीन महंत जी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने दो महाविद्यालय भी दान में दे दिए थे. उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा हेतु मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी. अपने गुरु द्वारा शुरू किए गये इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने विस्तार दिया. शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया.
ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के शिष्य एवं वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण के लिए अपने दादागुरु द्वारा रोपे और अपने गुरु द्वारा सींचे गए पौधे को वटवृक्ष सरीखा बना दिया है. किराए के एक कमरे में शुरू शिक्षा का प्रकल्प दर्जनों संस्थानों के साथ ही विश्वविद्यालय तक विस्तारित हो चुका है. इलाज के लिए गोरक्षपीठ की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय की ख्याति पूरे पूर्वांचल में है. गोरक्षपीठ से योग के प्रसार को लगातार गति मिली है. पीठ की गुरु परंपरा में लोक कल्याण के मिले मंत्र की सिद्धि योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री की भूमिका में भी नजर आती है.
सीएम योगी करेंगे महायोगी गोरखनाथ का पूजनयही वजह है कि गोरखनाथ मंदिर के लिए गुरु पूर्णिमा पर्व का खास महत्व है. गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गुरुवार महायोगी गोरखनाथ का विशिष्ट पूजन कर नाथपंथ के गुरुजन के प्रति श्रद्धा निवेदित करेंगे. इस पर्व पर शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ को रोट अर्पित करने की भी परंपरा है. आनुष्ठानिक कार्यक्रमों को पूर्ण करने के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर अपने शिष्यों और गोरक्षपीठ के अनुयायियों को आशीर्वाद प्रदान करेंगे. गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर 4 जुलाई से गोरखनाथ मंदिर में चल रहे श्रीरामकथा की पूर्णाहुति भी होगी.
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुवार को गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला तड़के से ही शुरू हो जाएगा. गोरक्षपीठाधीश्वर सुबह सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करेंगे. उन्हें रोट चढ़ाएंगे. इसके बाद नाथपंथ के सभी योगियों की समाधि स्थली और देवी देवताओं के मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम होगा. पूजा के अंत के सामूहिक आरती होगी. गुरु पूजन के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर साधु संतों के बीच आएंगे. बारी-बारी से शिष्य, गोरक्षपीठाधीश्वर तक पहुंचेंगे और तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करेंगे. गोरक्षपीठाधीश्वर अन्य श्रद्धालुओं को भी आशीर्वाद देंगे. आशीर्वचन के बाद मंदिर में सहभोज का आयोजन किया जाएगा.
गुरु पूर्णिमा पर शिष्य के रूप में गुरु गोरखनाथ व ब्रह्मलीन गुरुदेव की पूजन-स्तुति करेंगे सीएम योगी
1