भास्कर न्यूज|लुधियाना तरनतारन के गांव सुग्गा, भिखीविंड से नरबीर सिंह, गुरप्रीत सिंह और लवप्रीत सिंह और पटियाला से कोमल और गुरिंदर कौर पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी पीएयू के स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज पहुंचे। दोनों समूह अपने फूड बिजनेस को बढ़ाने और बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेने आए थे। तरनतारन के युवा गेहूं का आटा, हल्दी, सरसों का तेल और मसालों की प्रोसेसिंग कर रहे हैं। वहीं, पटियाला की महिला उद्यमी मल्टीग्रेन, मोरिंगा और नट्स समोसा, चने का अचार, चुकंदर चकली और मशरूम अचार बना रही हैं। दोनों समूहों के लिए दो-दो घंटे की विशेष सत्र आयोजित किए गए। यह सत्र स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज और नेशनल इनिशिएटिव फॉर डिवेलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन-टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर ने मिलकर आयोजित किए। यह प्रोजेक्ट विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा समर्थित है। युवाओं और महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं। यह साझेदारी कृषि को आत्मनिर्भर और नवाचार आधारित एग्रीबिजनेस में बदलने की दिशा में काम कर रही है। सत्र में मार्केटिंग, बिजनेस डेवलपमेंट और स्टार्टअप एक्सेलेरेशन के विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने ग्रामीण उद्यमियों को व्यावहारिक और नवाचार आधारित समाधान दिए। सत्र को डॉ. रमनदीप सिंह ने संबोधित किया। उन्होंने आधुनिक मार्केटिंग रणनीतियों, ब्रांडिंग के महत्व, टिकाऊ पैकेजिंग और पारदर्शी लेबलिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन उपायों से ग्रामीण उत्पादों की पहचान और बिक्री दोनों बढ़ सकती हैं।तरनतारन के समूह को प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करने के लिए पीएयू किसान क्लब से जोड़ा गया। उन्हें एग्रो प्रोसेसिंग सेंटर और स्किल डेवलपमेंट सेंटर का दौरा करने की सलाह दी गई। यहां उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण और गुणवत्ता मानकों की जानकारी दी जाएगी। पटियाला की महिला उद्यमियों को पीएयू की लोकप्रिय गेहूं किस्म पीबीडब्ल्यू 1 चपाती से परिचित कराया गया। इससे उनके उत्पादों का पोषण स्तर बढ़ेगा। टीम ने उनके ब्रांड के लिए आकर्षक नाम भी सुझाए। सीईओ गुरिंदर सिंह और बीएम समीर गौतम ने उद्यमियों को इनक्यूबेटर प्रक्रिया से जोड़ा। उन्हें डिजिटल रजिस्ट्रेशन फॉर्म के जरिए नामांकित किया गया। उन्होंने बताया कि नया मार्केटिंग मॉडल सही तरीके से लागू हुआ तो इन व्यवसायों की पहुंच और टिकाऊपन दोनों बढ़ेंगे।
ग्रामीण युवाओं और महिला उद्यमियों के स्टार्टअप को पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिला
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