ग्रेटर नोएडा में वर्धमान बिल्डर ने खरीददारों को दिया झटका, अभी तक दुकान का पजेशन नहीं मिला

by Carbonmedia
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ग्रेटर नोएडा के गामा-1 स्थित जगत फार्म इलाके में बने वर्धमान इंफ्रा बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के रॉयल वॉकवे प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. इस प्रोजेक्ट में 500 से अधिक खरीददारों ने करोड़ों रुपये का निवेश कर कमर्शियल शॉप खरीदी हैं, लेकिन आज तक उन्हें पजेशन नहीं मिला.
इस लापरवाही और धोखाधड़ी से नाराज सैकड़ों निवेशक अब प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. जानकारी के अनुसार वर्धमान बिल्डर ने विधि इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के साथ करार कर यह प्रोजेक्ट शुरू किया था.
आज जब प्रोजेक्ट पूरी तरह बनकर तैयार है, सभी भुगतान भी पूरे हो चुके हैं, तब भी खरीददारों को उनकी दुकानों की चाबियाँ नहीं सौंपी गई हैं. सबसे बड़ी बाधा यह है कि प्राधिकरण का बिल्डर के पास करोड़ का बकाया लंबित है, जिसके चलते ओसी (ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट) और सीसी (कम्पलीशन सर्टिफिकेट) जारी नहीं हो पा रहे हैं.
पीड़ितों ने नेफोमा अध्यक्ष से मुलाकात की
इस समस्या को लेकर आज रॉयल वॉकवे के पीड़ित खरीददारों के प्रतिनिधिमंडल ने नेफोमा अध्यक्ष से मुलाकात की. उन्होंने आश्वासन दिया कि इस विषय को लेकर जल्द ही ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की जाएगी और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा.
बिल्डर बात करने को नहीं तैयार 
खरीददार तरुण यादव ने बताया कि उन्होंने कई बार वर्धमान बिल्डर के डायरेक्टर राजू वर्मा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह न तो कॉल उठाते हैं और न ही मुलाकात के लिए उपलब्ध होते हैं. वहीं निर्माण से जुड़ी कंपनी विधि इंफ्राबिल्ड प्रा. लि. के डायरेक्टर विपुल शर्मा और पीके शर्मा भी किसी प्रकार की बातचीत करने को तैयार नहीं हैं. इससे परेशान निवेशकों को अब कानूनी सहारे की तलाश है.
अधिकारियों से आखिरी उम्मीद
आज की इस बैठक में धीरेंद्र यादव, राजीव अग्रवाल, उर्वशी गोगोई, रविंद्र सिंह सहित कई अन्य पीड़ित मौजूद रहे. सभी ने एक स्वर में कहा कि उन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई इस प्रोजेक्ट में लगाई है, और अब जब दुकानें बनकर तैयार हैं, तो बिल्डर के गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने उन्हें सड़क पर ला खड़ा किया है.
अब सभी निवेशकों की नजरें अथॉरिटी और प्रशासनिक हस्तक्षेप पर टिकी हैं, ताकि उन्हें उनका वाजिब हक मिल सके और भविष्य में ऐसे प्रोजेक्ट्स से आमजन को बचाया जा सके.

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