दिल्ली में 26 जुलाई से अपने साथी के साथ सेफ हाउस में रह रही युवती अब शादी के लिए 30 दिन की नोटिस अवधि पूरी होने का इंतजार कर रही है. इस अंतर धार्मिक प्रेमी जोड़े ने 4 अगस्त को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करने का नोटिस जमा किया था.
युवती ने आरोप लगाया कि 2019 में मेरी चाची ने मुझे अपने साथी के साथ बातचीत करते हुए देख लिया था, महिला हेल्पलाइन पर कॉल किया और मुझे पुलिस को यह बताने के लिए मजबूर किया गया कि मुझे परेशान किया जा रहा है. मैं बहुत डरी हुई थी.
लड़की ने कहा, ”मैंने पिछले दिसंबर में अपने परिवार को इस रिश्ते के बारे में बताया था. हम 2019 से शादी करना चाहते थे. हम सोचते रहे कि अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए स्थिति बेहतर हो जाएगी, लेकिन यह बदतर होती गई. मुझे लगता है कि मेरे माता-पिता शादी में आ सकते हैं और अपना विरोध जता सकते हैं, लेकिन मैं तैयार हूं.”
22 जुलाई को प्रयागराज से भागकर दिल्ली आई युवती
युवती यूपी के प्रयागराज की रहने वाली है. लड़की अपने साथी से 2018 में एक कोचिंग सेंटर में मिली थी. उस समय से दोनों के बीच प्रेम संबंध पनपने लगा था. इस साल 22 जुलाई को 25 वर्षीय युवती प्रयागराज स्थित अपने घर से एक बैग लेकर 25 साल की यह युवती भाग गई. बैग में सिर्फ उसकी डिग्रियां, जरूरी दस्तावेज और एक जोड़ी कपड़े थे. वह अपने साथी से मिलने दिल्ली पहुंची.
लड़की का साथी दूसरे धर्म से ताल्लुक रखता है और उसकी उम्र करीब 26 साल है. लड़की ने दिल्ली जाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उसके परिवार ने उनके रिश्ते का विरोध किया और अप्रैल में उसकी शादी तय करने की कोशिश की थी.
प्रेमी जोड़ा सुरक्षा के लिए पहुंचा था डीसीपी ऑफिस
दिल्ली पहुंचने के एक दिन बाद, प्रेमी जोड़े ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए डीसीपी (दक्षिण-पूर्व) ऑफिस का रुख किया था, लेकिन 24 जुलाई को पुलिस ने उन्हें अलग कर दिया. पुलिस ने महिला का मेडिकल जांच कराया और उसे एक शेल्टर होम में स्थानांतरित कर दिया, जबकि उसके दोस्त ने हाई कोर्ट में याचिका दी. अदालत ने 25 जुलाई को कपल की मदद करते हुए डीसीपी (दक्षिण-पूर्व) को उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें एक सरकारी सुरक्षित घर में रखने करने का आदेश दिया.
माता-पिता हमेशा चाहते थे कि मैं प्रयागराज में रहूं- युवती
युवती ने ये भी कहा, “मेरे माता-पिता हमेशा चाहते थे कि मैं प्रयागराज में रहूं और परिवार के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करूं, जिसमें यह भी शामिल है कि मैं परिवार की मर्जी से शादी करूं. मुझे यह एहसास दिलाया गया कि मुझे शिक्षित करके वे मुझ पर एहसान कर रहे हैं.” लड़की नौकरी की तलाश कर रही है. उसका साथी दिल्ली के एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है.
मुझे दोस्त से अलग कर दिया गया- युवती
उन्होंने आरोप लगाया, ”जब हम सुरक्षा की मांग लेकर डीसीपी ऑफिस गए, तो उन्होंने कहा कि सेफ होम जैसी कोई चीज़ नहीं होती. डीसीपी ने भी हमें बताया कि सेफ हाउस जैसी कोई अवधारणा ही नहीं है. फिर उन्होंने कहा कि मुझे एक मेडिकल टेस्ट करवाना होगा. हमें लगा कि शायद यह सीनियर अधिकारियों का आदेश होगा, और मैंने अपनी सहमति दे दी. फिर हमें अलग कर दिया गया.”
‘अदालत के हस्तक्षेप के बाद हमें सेफ हाउस ले जाया गया’
उसने आगे कहा कि मुझे मेरी मर्जी के खिलाफ एक महिला शेल्टर होम में ले जाया गया. उन्होंने मेरा फ़ोन छीन लिया, न तो मुझे अपने साथी से मिलने दिया और न ही संपर्क करने दिया. अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही हमें एक सेफ हाउस ले जाया गया.”
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