चिराग पासवान और जीतन राम मांझी ने बढ़ाया ‘सिर दर्द’! चुनाव में NDA को होगा नुकसान? खबर को समझिए

by Carbonmedia
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Bihar News: 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ महीने बच गए हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतन राम मांझी ने एनडीए में सिर दर्द को बढ़ा दिया है. जीतन राम मांझी पहले ही 30 से 40 सीट पर दावा ठोक रहे हैं तो दूसरी ओर चिराग पासवान रैली पर रैली कर रहे हैं. आठ जून को आरा में बड़ी सभा की तो 29 को राजगीर में रैली करने वाले हैं. भले चिराग और मांझी दोनों एनडीए में हैं, लेकिन हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख ने बीते मंगलवार (10 जून, 2025) को यह कह दिया कि चिराग पासवान की भीड़ पैसों के बल पर जुटाई जाती है. जिनको ताकत होती है वह बोलते नहीं हैं. अब ऐसे में सवाल उठ रहा कि चुनाव से पहले मांझी के बयानों का एनडीए पर क्या असर होगा?
इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय से बात की गई. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर दोनों के बीच जो कटुता बढ़ रही है, एनडीए के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है. इसके समाप्त होने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है. उन्होंने बताया कि एनडीए के पांच दलों में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों दलित के नेता हैं. चिराग को विरासत में वोट बैंक मिला है और उनकी जाति की संख्या भी अधिक है. उस अनुपात में जीतन राम मांझी की जाति की संख्या कम है. ऐसे में ताकतवर की बात को लेकर दोनों में विरोधाभास पहले से रहा है. मांझी ने बोलकर साबित भी कर दिया कि चिराग पासवान ताकतवर होने के लिए का प्रदर्शन कर रहे हैं.
चिराग की सीटों पर प्रचार में जाने से परहेज कर सकते हैं मांझी
अरुण पांडेय ने बताया कि दोनों के बीच यह विरोधाभास आज नया नहीं है. जब इमामगंज सीट पर उपचुनाव हो रहा था और जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी मैदान में थीं तो चिराग पासवान समय देकर नहीं पहुंचे थे. इस बात का दर्द मांझी को अभी तक है. उन्होंने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी यह देखने को मिल सकता है कि मांझी के कैंडिडेट की सीटों पर चिराग पासवान चुनाव प्रचार में नहीं जा सकते हैं तो चिराग पासवान की सीटों पर जीतन राम मांझी चुनाव प्रचार में जाने से परहेज सकते हैं. ऐसे में इसका नुकसान निश्चित तौर पर एनडीए को उठाना पड़ सकता है.
उन्होंने कहा, “हालांकि अभी चुनाव में वक्त है. इस बीच कई बार पीएम मोदी का भी आगमन होगा. यह अलग बात है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में दोनों सम्मिलित हो सकते हैं, लेकिन अंदरूनी विरोधाभास खत्म होने की उम्मीद नहीं है. इसके लिए शायद बीजेपी के बड़े नेता पहल करेंगे तो संभावना बन सकती है. चुनाव के वक्त अगर स्थिति तनावपूर्ण रही तो निश्चित तौर पर एनडीए के नेता इस पर पहल कर करेंगे, लेकिन अभी उम्मीद नहीं दिख रही है.”
यह भी पढ़ें- Poll Tracker Survey: NDA, इंडिया गठबंधन या जुन सुराज… 2025 में किसकी बन रही सरकार? चौंका देगा सर्वे

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