‘चीफ जस्टिस का ऑफिस डाकघर नहीं है जो…’, पूर्व CJI की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

by Carbonmedia
()

सुप्रीम कोर्ट ने कैशकांड मामले में इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार देने का अनुरोध कर रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के आचरण को विश्वसनीय न बताते हुए बुधवार (29 जुलाई, 2025) को उनसे तीखे सवाल पूछे. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से दी गई दलीलों पर काफी तीखी प्रतिक्रिया दी.
याचिका में जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाए जाने की पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से राष्ट्रपति को सिफारिश भेजे जाने का भी विरोध किया गया है, इस पर सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त नजर आया. कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस का कार्यालय पोस्ट ऑफिस नहीं है. उन्होंने रिपोर्ट देखने के बाद अपनी सिफारिश लिखी. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता के घर पर जला हुआ कैश मिलने का वीडियो सार्वजनिक किए जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि माहौल पहले ही उनके खिलाफ बना दिया गया. ऐसा खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने किया. उन्होंने सिर्फ इतना ही नहीं किया, कमेटी की रिपोर्ट के बाद जज को पद से हटाने की सिफारिश भी राष्ट्रपति को भेज दी.

कपिल सिब्बल की इस दलील पर कोर्ट ने वीडियो सार्वजनिक किए जाने के खिलाफ दलील को विचारणीय माना, लेकिन कहा कि इस बात का अब कोई अर्थ नहीं है. याचिकाकर्ता को यह पहले कहना चाहिए था. बेंच ने चीफ जस्टिस की सिफारिश को सही ठहराते हुए कहा, ‘चीफ जस्टिस का ऑफिस कोई डाकघर नहीं हैं. वहां बैठने वाले शख्स की देश के प्रति कुछ जिम्मेदारी है. उन्होंने रिपोर्ट को देखने के बाद अपनी सिफारिश लिखी. उनकी देश के लोगों के प्रति भी जवाबदेही बनती है.’

बेंच ने कहा कि अगर भारत के सीजेआई के सामने यह मानने के लिए कोई दस्तावेज हैं कि किसी न्यायाधीश ने कदाचार किया है तो वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से यह भी पूछा कि वह इन-हाउस कमेटी के समक्ष क्यों पेश हुए और उसे वहीं चुनौती क्यों नहीं दी. अब जब रिपोर्ट उन्होंने तैयार कर ली तो आप आपत्ति जता रहे हैं. अदालत ने जस्टिस वर्मा से कहा कि उन्हें कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहले आना चाहिए था. कोर्ट ने सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment