चोट लगने पर अब राईस नहीं पीस व लव प्रोटोकॉल अपनाने की सलाह

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | लुधियाना खिलाड़ियों को अच्छी ट्रेनिंग देने व बदलते दौर के साथ ट्रेनिंग के मेथड में आए बदलाव को कोचेस के जरिए बच्चों तक पहुंचाने के लिए अपडेट और रिफ्रेशर कोर्स करवाए गए। तीन सप्ताह तक चले इन कोर्सेस में थ्यूरी के साथ साथ प्रेक्टिकल भी करवाया गया। यह ट्रेनिंग पीआईएस व खेल विभाग के कोचेस के लिए बेहतरीन प्रशिक्षकों द्वारा करवाई गई। इसमें ऑल इंडिया से 200 कोचेस ने भाग लिया। इसमें यूपी, हरियाणा के पुलिस विभाग से संबंधित थे। पंजाब से अलग अलग गेम के 21 कोचेस ने भाग लिया। 2 सप्ताह ऑनलाइन ट्रेनिंग और एक सप्ताह प्रेक्टिकल करवाई गई। लुधियाना के कोच संजीव शर्मा ने इसमें भाग लिया और उनकी ट्रेनिंग पटियाला में हुई। पटियाला में हुई ट्रेनिंग में एथलेटिक, बॉक्सिंग, साइक्लिंग, फेंसिंग, हैंडबाल, जूडो, कुश्ती के कोचेस की ट्रेनिंग हुई। जबकि बैंगलोर में बैंडमिंटन, बास्केटबॉल, कबड्‌डी, लॉन टेनिस, वॉलीबॉल, कोलकाता में आर्चरी, फुटबाल, जिमनास्टिक, टेबल टेनिस के कोचेस की ट्रेनिंग हुई। इसके अलावा ट्रेनिंग के दौरान स्पोर्ट्स साइंस क्लास के बारे में बताया गया। इसमें न्यूट्रिशन, बायोमैकेनिक्स, एक्सरसाइज फिजिलोजी, एंथ्रोपोमेट्रिक (शरीर के विभिन्न आयामों को मापने की प्रक्रिया) , फिजियोथेरेपी आदि शामिल रहा। ट्रेनिंग के दौरान कोचेस के बीच प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के दौरान खेल के माध्यम से सभी चीजों के बारे में बताया गया। यह दो हिस्सों में बांटी गई एक नई गाइडलाइन है। पीस का इस्तेमाल चोट लगने के तुरंत बाद में किया जाता है, जबकि लव प्रोटोकॉल को कुछ दिन बाद यानी रिकवरी के दौरान अपनाना चाहिए। {पीस प्रोटोकॉल: (चोट लगने के शुरुआती 1-3 दिन) पी-प्रोटेक्ट (संरक्षण करें): चोटिल हिस्से को 1 से 3 दिन तक आराम दें। मूवमेंट सीमित रखें ताकि और नुकसान न हो। जरूरत हो तो स्लिंग, क्रच या ब्रेस का इस्तेमाल करें। {ई-एलिवेट (ऊंचाई पर रखें): चोटिल अंग को दिल के स्तर से ऊपर रखें, ताकि सूजन कम हो सके। {ए- अवॉयड एंटी- इंफ्लामेटोरियस (दर्द की दवाओं से बचें): बर्फ और पेनकिलर जैसी दवाओं से बचें। यह शरीर की नैचुरल सूजन प्रक्रिया में बाधा डालती हैं, जो कि हीलिंग के लिए जरूरी है। {सी- कंप्रेशन (दबाव दें): चोटिल हिस्से पर पट्टी बांधें लेकिन ध्यान रखें कि दबाव ज्यादा न हो, ताकि ब्लड सर्कुलेशन न रुके। {ई- एजुकेट (जानकारी दें): मरीज को चोट, इलाज की प्रक्रिया और सावधानियों के बारे में सही जानकारी दें। { लव प्रोटोकॉल (चोट के कुछ दिन बाद) {एल- लोड (दबाव डालें): धीरे-धीरे चोटिल हिस्से पर हल्का दबाव डालना शुरू करें। इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और जकड़न नहीं होती। {ओ- ओप्टिमिसम (सकारात्मक सोच): मरीज का आत्मविश्वास बनाए रखना जरूरी है। सकारात्मक सोच से हीलिंग तेजी से होती है। {वी- वास्कल्यूराइजेशन (ब्लड फ्लो बढ़ाएं): हल्की-फुल्की एक्सरसाइज से उस हिस्से में रक्त प्रवाह बढ़ाएं ताकि रिकवरी बेहतर हो। {ई-एक्सर साइज (व्यायाम): धीरे-धीरे स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथ बढ़ाने वाले व्यायाम करें। इससे लचीलापन और मूवमेंट बेहतर होता है। {दर्द निवारक दवाओं से परहेज: राईस में जहां बर्फ और पेनकिलर का इस्तेमाल होता है, वहीं पीस और लव यह कहता है कि इनसे बचना चाहिए क्योंकि यह शरीर की नेचुरल हीलिंग को रोकते हैं। { जल्दी मूवमेंट जरूरी- लव में कहा गया है कि आराम के साथ-साथ हल्की गतिविधि जरूरी है, ताकि जकड़न न हो और रिकवरी जल्दी हो। {मानसिक स्वास्थ्य पर भी फोकस- यह प्रोटोकॉल सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक स्थिति को भी महत्व देता है। रोगी का आत्मविश्वास और उम्मीद इलाज का अहम हिस्सा माने जाते हैं। डाक्टरों की सलाह: फिजियोथेरेपिस्ट और ऑर्थोपेडिक्स अब पीस और लव को ज्यादा असरदार मानते हैं। उनका कहना है कि इस नई गाइडलाइन से प्राकृतिक तरीके से, दवाओं के कम इस्तेमाल में ही बेहतर और टिकाऊ इलाज हो सकता है। इसके अलावा ट्रेनिंग के दौरान स्पोर्ट्स साइंस क्लास के बारे में बताया गया। इसमें न्यूट्रिशन, बायोमैकेनिक्स, एक्सरसाइज फिजिलोजी, एंथ्रोपोमेट्रिक (शरीर के विभिन्न आयामों को मापने की प्रक्रिया), फिजियोथेरेपी आदि शामिल रहा। ट्रेनिंग के दौरान कोचेस के बीच प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के दौरान खेल के माध्यम से सभी चीजों के बारे में बताया गया।

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