छत्तीसगढ़: दुर्ग में CM साय ने आधुनिक आयुर्वेदिक प्रोसेसिंग यूनिट का किया लोकार्पण, 2000 लोगों को मिलेगा रोजगार

by Carbonmedia
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Vishnu Deo Sai News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रविवार (29 जून) को नवनिर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक प्रोसेसिंग यूनिट और सेंट्रल स्टोरेज कॉम्पलेक्स का लोकार्पण किया. यह दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा के तहत ग्राम जामगांव (एम) में स्थित है. इसे छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित किया गया है. 
मुख्यमंत्री साय ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को हमारी सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा कर रही है. हमारी सरकार डेढ़ वर्षों से लगातार विकास की दिशा में अग्रसर है. तीन करोड़ जनता से किए गए वचनों को हम प्राथमिकता से पूरा कर रहे हैं.”
दो हजार लोगों को मिलेगा रोजगार- सीएम साय
सीएम ने आगे कहा, ”तीन नई हर्बल यूनिट से लगभग दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है, जो हमारे लिए सौभाग्य का विषय है. आयुर्वेदिक औषधियों की कच्ची सामग्रियां जंगलों से इकट्ठा कर प्लांट तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे वनवासियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा.” 
उन्होंने ये भी कहा कि यह प्रोसेसिंग यूनिट मध्य भारत की सबसे बड़ी यूनिट है और आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी. इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक केंद्र के रूप में स्थापित होगी.
तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकार ने बढ़ाई राशि
मुख्यमंत्री साय ने ये भी कहा, ”तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकार ने संग्रहण दर 4,500 रुपए से बढ़ाकर 5,500 रुपए प्रति मानक बोरा कर दी है, जिससे लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को इसका सीधा लाभ मिलेगा. साथ ही पूर्ववर्ती सरकार में बंद की गई ‘चरण पादुका योजना’ को फिर से शुरु किया गया है, जिसके तहत आज पांच हितग्राही महिलाओं को चरण पादुका वितरित की गईं.
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़ने की अपील
मुख्यमंत्री ने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़ने की अपील की. उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मां के नाम पर कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए. इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही मां के प्रति सम्मान भाव भी बना रहेगा.
वन मंत्री केदार कश्यप ने क्या कहा?
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44.10 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है, जिससे वनोपज की बहुलता है. मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का वनोपज अब वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाएगा. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार की वनोपज का संग्रहण किया जाता है, जिससे 13 लाख 40 हजार वनवासियों को सीधा लाभ मिलेगा. 
महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयुर्वेदिक औषधियों की महत्ता पर प्रकाश डाला. मुख्यमंत्री साय ने लोकार्पण से पूर्व प्रसंस्करण इकाई परिसर में आंवला का पौधा लगाया. इसके साथ ही वन मंत्री कश्यप ने सीताफल का पौधा, सांसद विजय बघेल ने बेल और महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने भी सीताफल का पौधा लगाया.
36.47 करोड़ रुपए की लागत
आयुर्वेदिक प्रोसेसिंग यूनिट छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को विज्ञान और आधुनिक तकनीक से जोड़कर ‘फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल’ को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है. 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह यूनिट हर साल 50 करोड़ रुपए मूल्य के उत्पाद तैयार करेगी. 
यहां प्रदेश के वनों से प्राप्त औषधीय और लघु वनोपज – जैसे महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय, अश्वगंधा आदि का संगठित और वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट, अवलेह जैसे गुणवत्तापूर्ण उत्पाद निर्मित होंगे. यह इकाई ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड के तहत प्रदेश के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने का प्रमुख केंद्र बनेगी.
 

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