मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में गिरफ्तार केरल की दो ननों और एक अन्य व्यक्ति को शनिवार (02 अगस्त) को जमानत मिल गई. छत्तीसगढ़ की एक विशेष अदालत से जमानत के बाद दुर्ग सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया.
कैथोलिक नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस का जेल के बाहर केरल के कई नेताओं ने स्वागत किया, जिनमें वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के सांसद, बीजेपी की केरल इकाई के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर और दुर्ग के पूर्व विधायक अरुण वोरा सहित कांग्रेस के कुछ नेता भी शामिल थे.
जेल से बाहर निकलने के बाद दोनों नन चंद्रशेखर के साथ एक गाड़ी में वहां से चली गईं. इससे पहले, जमानत आदेश की खबर मिलने के बाद एलडीएफ सांसद और ईसाई समुदाय के लोग दुर्ग केंद्रीय जेल के बाहर मिठाइयां बांटते देखे गए.
माकपा ने फेसबुक पर क्या लिखा?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, ”एलडीएफ सांसद जॉन ब्रिटास, जोस के मणि और पी संतोष कुमार दुर्ग केंद्रीय जेल के बाहर एक नन के भाई के साथ जमानत आदेश का जश्न मनाते हुए. इस मामले में नारायणपुर जिले की तीन युवतियां जो ननों के साथ जा रही थीं, उन्होंने थाने में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
बिलासपुर कोर्ट ने दोनों ननों को शर्तों पर दी जमानत
इससे पहले, आज दिन में बिलासपुर स्थित विशेष न्यायाधीश (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए)-अदालत) सिराजुद्दीन कुरैशी की अदालत ने दोनों ननों और सह-आरोपी सुकमन मंडावी को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे अपने पासपोर्ट जमा कर दें और देश छोड़कर न जाएं. बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने बताया कि उन्हें 50-50 हज़ार रुपये के मुचलके पर जमानत दी गई है और उन्हें जांच में सहयोग करने को भी कहा गया है.
‘आपराधिक इतिहास का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं’
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ”केस डायरी से पता चलता है कि प्राथमिकी दर्ज करना मुख्यतः अभियुक्तों द्वारा अपराध किए जाने की आशंका और संदेह पर आधारित है. अभियुक्तों के गिरफ्तारी ज्ञापन में उनके आपराधिक इतिहास का कोई पिछला रिकॉर्ड संलग्न नहीं किया गया है.”
एनआईए-अदालत ने कहा, ”यहां यह उल्लेख करना भी उचित है कि गिरफ्तारी ज्ञापन में यह उल्लेख किया गया है कि अभियुक्त आदतन अपराधी नहीं हैं या वे खतरनाक श्रेणी में नहीं आते हैं या अभियुक्तों के फरार होने की कोई आशंका नहीं है.”
धर्म परिवर्तन का आरोप कितना सही?
कोर्ट ने आगे कहा है, ”यह भी महत्वपूर्ण है कि तीनों पीड़ितों के माता-पिता ने भी अपने हलफनामे दायर किए हैं जिनमें कहा गया है कि अभियुक्तों/आवेदकों ने उनकी बेटियों को धर्म परिवर्तन या मानव तस्करी के लिए न तो बहलाया-फुसलाया है, न ही उन पर दबाव डाला है.”
अदालत ने कहा कि तीन वयस्क पीड़ित लड़कियों में से दो ने पुलिस के समक्ष अपने बयान में बताया कि वे बचपन से ही ईसाई धर्म का पालन करती रही हैं. अदालत ने कहा है कि जांच एजेंसी ने आरोपियों से हिरासत में पूछताछ के लिए कोई अनुरोध नहीं किया है.
आरोपी नियमित जमानत पर रिहा होने के हकदार- कोर्ट
जांच एजेंसी ने अदालत के सामने कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं रखा है जिससे यह पता चले कि जांच या न्याय के लिए आरोपियों की निरंतर हिरासत कैसे आवश्यक होगी. अदालत ने आगे कहा कि इसलिए, इस अदालत का मानना है कि आवेदक/आरोपी नियमित जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं.
अदालत ने जमानत देते समय कुछ शर्तें भी रखीं, जिनमें शामिल हैं कि आवेदकों (कथित आरोपियों) को जमानत पर रिहा रहने की अवधि के दौरान अपने पासपोर्ट विशेष अदालत में जमा करने होंगे और जमानत अवधि के दौरान अपने निवास का पता एनआईए के जांच अधिकारी को बताना होगा.
आदेश में कहा गया है कि जमानत पर रहते हुए, आवेदकों को हर दो सप्ताह में एक बार उस पुलिस थाने के प्रभारी को रिपोर्ट करना होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में वे रहते हैं
जांच के दौरान पूछताछ के लिए खुद को उपलब्ध कराना होगा.
इसमें कहा गया है कि आवेदक सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे.
आवेदक गवाहों को धमकाने या प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे
इस मामले के संबंध में न तो कोई इंटरव्यू देंगे और न ही अपने या अन्य सह-आरोपियों पर कोई टिप्पणी करेंगे.
मुख्यमंत्री साय ने क्या कहा?
रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी की शिकायत पर 25 जुलाई को शासकीय रेल पुलिस ने नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ सुकमन मंडावी नामक एक व्यक्ति को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था.
पदाधिकारी ने ननों और मंडावी पर नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था. जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्यमंत्री साय ने कहा, ‘यह एक कानूनी प्रक्रिया थी और इसमें जमानत दी गई है.’
इस बीच, मामले की कथित पीड़ित तीन युवतियां नारायणपुर जिला मुख्यालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचीं और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई है.
शिकायत में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ उन पर कथित तौर पर हमला करने और ननों के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है.