छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट जाने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत राहत पहले निचली अदालत या राज्य के हाई कोर्ट से मांगनी चाहिए. सीधे सुप्रीम कोर्ट आना गलत है.
2000 करोड़ के शराब सिंडिकेट घोटाले में चैतन्य बघेल को किया गया था गिरफ्तार
लगभग 2 हजार करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट घोटाले में चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. भूपेश बघेल के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने ईडी की जांच जारी रहने का विरोध किया. सिब्बल ने कहा, “आखिर यह देश में क्या हो रहा है? मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. फिर भी जांच जारी है. गिरफ्तार करने से पहले मजिस्ट्रेट की अनुमति भी नहीं ली जा रही है. किसी को भी मनमाने तरीके से गिरफ्तार किया जा रहा है.”
दो जजों की बेंच ने कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की नहीं सुनी दलीलें
दोनों याचिकाकर्ताओं के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनने से मना कर दिया. जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या की बेंच ने कहा, “जब भी किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मामला होता है, वह सीधे सुप्रीम कोर्ट आ जाता है. अगर उन्हें सुनना शुरू कर दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट में आम लोगों के लिए जगह ही नहीं बचेगी.” कोर्ट के स्पष्ट रुख को देखने के बाद दोनों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कही.
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या दिए निर्देश?
हालांकि, जजों ने कहा कि PMLA एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता अगर किसी प्रावधान को चुनौती देना चाहते हैं तो आवेदन दाखिल कर सकते हैं. लेकिन उन्हें व्यक्तिगत राहत के लिए पहले निचली अदालतों में जाना होगा.
यह भी पढे़ंः ‘फॉरेंसिक रिपोर्ट कहां है’, मणिपुर के पूर्व CM बीरेन सिंह के कथित ऑडियो क्लिप की जांच पर बोला सुप्रीम कोर्ट
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामला : भूपेश और चैतन्य बघेल की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी, हाई कोर्ट जाने की दी सलाह
2
previous post