हाल ही में जगदीप धनखड़ के द्वारा उपराष्ट्रपति (Vice President) के पद से अचानक इस्तीफा देना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Shinghvi) ने जगदीप धनखड़ के हालिया इस्तीफे पर कई तरह के गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 21 जुलाई को कांग्रेस ने राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर विपक्ष के 63 सांसदों के हस्ताक्षर थे. उस समय जगदीप धनखड़ राज्यसभा के अध्यक्ष थे और उन्होंने खुद इस प्रस्ताव को प्राप्त करने की बात स्वीकार की थी. इसके कुछ ही समय बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) से लोकसभा में भी ऐसे ही प्रस्ताव की जानकारी मांगी गई और उन्होंने इसकी पुष्टि की थी जिसके जवाब में अर्जुन राम मेघवाल ने ‘हां’ कहा था.
अभिषेक मनु सिंघवी ने उठाए सवाल
अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है, “अगर दोनों सदनों में एक जैसे प्रस्ताव आते हैं, तो दोनों सदनों के अध्यक्ष मिलकर एक संयुक्त समिति बना सकते हैं और उस पर मिलकर काम कर सकते हैं. फिर जगदीप धनखड़ जी का अचानक इस्तीफा देना कई तरह के सवाल खड़ा करता है. क्या ये इस्तीफा उस दबाव का संकेत है जो राज्यसभा में पेश प्रस्ताव से उत्पन्न हुआ था? या क्या वे इस परिस्थिति से निकलने का कोई और रास्ता नहीं देख पा रहे थे?”
बीजेपी से कोई नैरेटिव छिनता है तो बौखला जाते हैं- अभिषेक मनु सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे लेकर बीजेपी पर हमलावर है. उन्होंने कहा कि जब भी उनसे (बीजेपी) कोई नैरेटिव छिनता है, वे बौखला जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह पार्टी कभी भी विपक्ष को साथ लेकर चलने की सोच नहीं रखती है. न्यायपालिका को लेकर भी बीजेपी का रवैया हमेशा से दोगला और अवसरवादी रहा है. उन्होंने जगदीप धनखड़ के पहले दिए बयानों की याद दिलाई और पूछा कि फिर अब उनका यह कदम क्या दर्शाता है?
जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर अभिषेक मनु सिंघवी ने BJP को घेरा, ‘राज्यसभा में 63 सांसदों के प्रस्ताव के बाद…’
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