लुधियाना जिले के जगराओं में बुधवार शाम नगर कौंसिल की रिक्विजिशन बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। शहर के विकास पर चर्चा के दौरान पार्षद हिमांशु मलिक और पूर्व नगर कौंसिल प्रधान व मौजूदा पार्षद सतीश कुमार पप्पू के बीच तीखी बहस हुई। बहस इतनी बढ़ी कि दोनों के बीच हाथापाई और धक्का-मुक्की तक हो गई। घटना ने नगर कौंसिल की गरिमा को ठेस पहुंचाई। जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप साथ ही शहर की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस को आमने-सामने ला खड़ा किया। पूर्व प्रधान सतीश पप्पू ने पार्षद हिमांशु मलिक पर छाती में पंच मारने का आरोप लगाया। इतना ही नही उन्होंने जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का भी आरोप लगाया। वहीं हिमांशु मलिक का कहना है कि उन्होंने बैठक में सिर्फ यह कहा था कि जो पार्षद जनता के काम नहीं करवा रहे, उन्हें अगली बार लोग अपने दरवाजे पर नहीं चढ़ने देंगे। इसी बात से नाराज होकर सतीश पप्पू उन पर झपट पड़े। शांति बहाली के लिए बुलानी पड़ी पुलिस हिमांशु ने बताया कि हाथापाई वाली जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। पुलिस चाहे तो पूरी सच्चाई सामने ला सकती है। फिर शहर के लोगों पता चल जाएगा, कौन सच्चा कौन झूठा। स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि एसएचओ सिटी वरिंदर पाल सिंह उप्पल को शांति बहाली के लिए नगर कौंसिल दफ्तर बुलाना पड़ा। पूर्व प्रधान सतीश पप्पू ने अपने बेटे और कुछ साथियों को भी मौके पर बुला लिया। इससे तनाव और बढ़ गया। हंगामे के बाद पार्षद हिमांशु मलिक नगर कौंसिल प्रधान जतिंदरपाल राणा के कमरे में चले गए। झगड़े की गंभीरता को देखते हुए दोनों पक्षों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों उपचाराधीन हैं। बैठक समाप्त होने पर भड़का विवाद जानकारी के मुताबिक पार्षद हिमांशु मलिक निर्दलीय जीतने के बाद कांग्रेस समर्थक बन गए थे। जबकि सतीश पप्पू पूर्व में अकाली दल से कौंसिल प्रधान रह चुके हैं और अब मौजूदा समय में भाजपा में शामिल हैं।बैठक की शुरुआत कार्य साधक अधिकारी सुखदेव सिंह रंधावा को विपक्षी पार्षदों द्वारा ज्ञापन देकर की गई थी। बैठक समाप्त हो चुकी थी और कुछ पार्षद व कर्मचारी हॉल में ही थे, जब ये विवाद भड़क उठा। अस्पताल पहुंचे दोनों के समर्थक पूर्व प्रधान सतीश पप्पू को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो उनके साथ शहर के कई भाजपा नेता और महिला विधायक सरबजीत कौर मानूके के पति प्रो. सुखविंदर सिंह भी पहुंचे। उधर हिमांशु मलिक के एडवोकेट होने और कांग्रेस गुट से जुड़े होने के कारण कई वकील और पार्षद उनके समर्थन में अस्पताल पहुंचे। नगर कौंसिल प्रधान जतिंदरपाल राणा और उनका गुट भी अस्पताल में दिखाई दिया। दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप एसएचओ वरिंदर पाल सिंह उप्पल ने कहा कि अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से लिखित शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। कौंसिल सूत्रों की माने तो शहर की स्थानीय राजनीति में यह विवाद अब केवल दो व्यक्तियों के बीच का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह भाजपा और कांग्रेस के टकराव का नया केंद्र बन चुका है।
जगराओं में नगर कौंसिल की बैठक में हंगामा:पार्षद और पूर्व प्रधान के बीच हाथापाई, दोनों अस्पताल में भर्ती
1