जत्थेदारों की नियुक्ति और सेवामुक्ति के लिए विधि विधान बनाने का मामला

by Carbonmedia
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गुरमीत लूथरा | अमृतसर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी की बैठक 9 जून को सुबह 11 बजे एसजीपीसी मुख्यालय में होगी। इस अहम बैठक में तख्तों के जत्थेदारों की नियुक्ति और सेवामुक्ति के लिए विधि-विधान कायम करने के लिए एक सब-कमेटी बनाई जा सकती है। इस कमेटी में एसजीपीसी अधिकारियों के अलावा दमदमी टकसाल के प्रमुख भाई हरनाम सिंह खालसा या उनके किसी करीबी को शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा कमेटी में टकसाल के प्रमुख सेवादार भाई राम सिंह को भी सदस्य के तौर पर शामिल किया जा सकता है। गौरतलब है कि 7 मार्च को एसजीपीसी कार्यकारिणी की बैठक के तहत श्री अकालतख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह एवं तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को हटाकर उनकी जगह जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज को श्री अकालतख्त साहिब का कार्यकारी तथा तख्त श्री केसगढ़ साहिब का स्थायी जत्थेदार मनोनीत किया गया था। इसी तरह तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की जगह पर संत टेक सिंह धनौला को तख्त श्री दमदमा साहिब का जत्थेदार नियुक्त किया गया था। 10 मार्च को अमृतवेले सुबह 2 बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब व सिख पंथ की गैर मौजूदगी में रात के अंधेरे में जत्थेदार गड़गज्ज की तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार के तौर पर ताजपोशी करने से सिख कौम मेंं बवाल मच गया था। दमदमी टकसाल के प्रमुख व संत समाज के प्रधान भाई हरनाम सिंह खालसा ने तो जत्थेदार गड़गज्ज को हटाने की मांग को लेकर 28 मार्च को एसजीपीसी के बजट इजसाल के दौरान एसजीपीसी मुख्यालय के समक्ष धरना ही दे दिया था। उन्होंने आपरेशन ब्लू स्टार से पहले स्पष्ट तौर से विरोध का बिगुल बजाते हुए ऐलान कर दिया था कि अगर 6 जून को जत्थेदार गड़गज्ज ने कौम के नाम संदेश देने का प्रयास किया तो दमदमी टकसाल किसी भी कीमत पर उन्हें संदेश पढ़ने नहीं देगा, चाहे इसके लिए एसजीपीसी के साथ टकसाल का टकराव ही क्यों न हो जाए। लेकिन समय रहते एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने संयम व समझदारी से काम लेते हुए जत्थेदार से संदेश नहीं पढ़वाया। टकराव टलने के नतीजन अब भाई खालसा अथवा उनके किसी करीबी टकसाल नेता को कमेटी में शामिल किया जा सकता है। कार्यकारिणी बैठक में पटियाला जेल में नजरबंद फांसी की सजा प्राप्त बलवंत सिंह राजोआणा की इस सजा को उम्रकैद में तबदील करने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष लंबित दया याचिका वापस लेने अथवा न वापस लेने संबंधी कोई अंतिम फैसला हो सकता है। उनके मामले में 3 दशकों से केंद्र सरकार द्वारा कोई अंतिम फैसला न लिए जाने से हताश राजोआणा कई बार एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी से इस मर्सी पटिशन को वापस लेने की अपील कर चुके हैं। राजोआणा सजा माफी नहीं चाहते हैं। उनका कहना है कि सरकार जल्द से जल्द उनके लंबित मामले में कोई फैसला ले। इसके अलावा अन्य बंदी सिखों की रिहाई की जल्द रिहाई के लिए भी रणनीति को अमलीजामा पहनाया जा सकता है।

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