सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 जून, 2025) को तमिलनाडु सरकार से एडीजीपी एचएम जयराम के सस्पेंशन पर सवाल पूछे, जिन्हें अपहरण के एक मामले में हाईकोर्ट ने हिरासत में लेने का निर्देश दिया था.
जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच इस बात पर हैरान है कि एडीजीपी को पहले हिरासत में लिया गया और फिर रिहा करने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया. कोर्ट ने एडीजीपी एचम जयराम के सस्पेंशन पर कड़ी आपत्ति जताई है. कोर्ट ने कहा कि एडीजीपी को मंगलवार को रिहा कर दिया गया था, लेकिन फिर उन्हें उनके पद से सस्पेंड कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ये कार्रवाई चौंकाने वाली है. कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से निलंबन वापस लेने के बारे में विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है. बेंच को राज्य सरकार के वकील ने बताया कि अधिकारी को हिरासत में लिया गया था और मंगलवार शाम 5 बजे रिहा कर दिया गया.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) जयराम के वकील ने कहा कि उन्हें पुलिस ने रिहा कर दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है. पीठ ने कहा, ‘वह एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं. उन्हें निलंबित करने की आपको क्या जरूरत थी? इस तरह के आदेश चौंकाने वाले और मनोबल गिराने वाले हैं.’
उन्होंने तमिलनाडु सरकार के वकील से कहा कि वह निर्देश मांगें और निलंबन रद्द करने के बारे में गुरुवार तक अदालत को अवगत करवाएं. जयराम ने मद्रास हाईकोर्ट के 16 जून के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट के निर्देश में पुलिस को उन्हें हिरासत में रखने के लिए कहा गया था.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपहरण के एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट की ओर से जयराम की गिरफ्तारी के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी. पुलिस अधिकारी के वकील ने दलील दी कि मद्रास हाईकोर्ट का गिरफ्तारी का आदेश एक इकबालिया बयान पर आधारित था.
जयराम ने अधिवक्ता राजेश सिंह चौहान के माध्यम से याचिका दाखिल कर कहा कि हाईकोर्ट ने 16 जून को बिना कोई विस्तृत कारण बताए और दो आरोपियों के कथित बयानों के आधार पर उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था.
जब रिहा कर दिया था तो ADGP को क्यों किया सस्पेंड? अपहरण मामले में अधिकारी के खिलाफ तमिलनाडु सरकार के एक्शन पर भड़का SC
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