लुधियाना से बठिंडा तक नॉन स्टॉप एक्सप्रेस-वे के लिए अभी लोगों को काफी इंतजार करना पड़ेगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि लुधियाना रेंज में एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए पूरी जमीन का कब्जा जिला प्रशासन एनएचएआई को दिला नहीं पाया है। बुधवार को 300 पुलिस मुलाजिमों की फोर्स, पुलिस के बड़े अधिकारियों, एसडीएम से लेकर मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात 8 अधिकारी एनएचएआई को लुधियाना-बठिंडा एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए जमीन का कब्जा दिलाने को गांवों में पहुंचे। अभी खेतों में मशीनरी को भेजा ही था कि वहां किसान आ पहुंचे और विरोध करना शुरू कर दिया। हैरान करने वाली बात ये भी देखने को मिली कि जिस जमीन पर एक्सप्रेस-वे बनना है, वहां फिर से किसानों ने धान की फसल उगा रखी है, जबकि एनएचएआई ने जिला प्रशासन को पहले ही लेटर जारी करते हुए ये सूचित किया था कि किसानों को फसल उगाने से रोका जाए ताकि कब्जा लेते समय किसी प्रकार की समस्या न आए। परंतु बुधवार को जब कब्जा लेने पहुंचे तो वहां खेतों में फसल उगी नजर आई। जबकि किसानों ने टीमों को खेतों में मशीनें चलने नहीं दी। सदर्न बाईपास-2 का निर्माण प्रस्तावित है, लेकिन यह प्रोजेक्ट भी अधर में लटका हुआ है। इस बाईपास के लिए कुल 25.24 किलोमीटर जमीन की जरूरत है, परंतु अब तक केवल 19.4 किलोमीटर तक ही जमीन का अधिग्रहण किया जा सका है। बाकी की जमीन पर कोई प्रगति नहीं हो सकी है और जिला प्रशासन द्वारा अब तक पूरी भूमि अधिग्रहित नहीं की जा सकी है। इस हिस्से पर एनएचएआई को 956.94 करोड़ रुपए का निवेश करना है, लेकिन जमीन अधिग्रहण में देरी की वजह से अभी तक निर्माण कार्य की शुरुआत ही नहीं हो पाई है। जब यह काम शुरू होगा, तो इसे दो वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन मौजूदा हालातों को देखकर लगता है कि डेडलाइन और बजट दोनों पर दबाव बढ़ता जाएगा। लुधियाना से बठिंडा तक बनने वाला नया एक्सप्रेस-वे को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 45 मिनट में यात्रा पूरा कराने वाला प्रोजेक्ट बताया था। अब ये प्रोजेक्ट निर्धारित समय पर पूरा होता नहीं दिख रहा है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के अधिकारियों के अनुसार, 45 किलोमीटर के हिस्से को दिसंबर 2025 तक तैयार करना था, लेकिन अब तक सिर्फ 50 फीसदी जमीन ही अधिग्रहित हो पाई है। इससे साफ जाहिर है कि ये प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो पाएगा। गौरतलब है कि जब यह परियोजना शुरू की गई थी तो इसे महज 24 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, जमीन अधिग्रहण की धीमी प्रक्रिया के कारण अब प्रगति ठप हो चुकी है। एनएचएआई का कहना है कि भले ही प्रशासन और पुलिस के साथ औपचारिकताएं पूरी की जा रही लुधियाना-बठिंडा एक्सप्रेस-वे का कुल 75 किलोमीटर लंबा खंड दो चरणों (पार्ट्स) में तैयार किया जाना है। पहले चरण, यानी पैकेज-1 के तहत निर्माण कार्य गांव बल्लोवाल से शुरू होकर बरनाला तक किया जाना है। इस चरण में एनएचएआई को कुल 45.243 किलोमीटर हिस्से में एक्सप्रेस-वे बनाना है, लेकिन वर्तमान में प्रगति काफी धीमी है। अब तक एनएचएआई को सिर्फ 22.75 किलोमीटर हिस्से में ही जमीन का कब्जा मिल पाया है, और वो भी मुख्य रूप से लुधियाना रेंज तक ही सीमित है। यानी लगभग आधे हिस्से में अब तक कार्य शुरू करने की स्थिति नहीं बन सकी है। इस हिस्से में कुल 1555.13 करोड़ रुपए की लागत से, जिसमें जमीन मुआवजा भी शामिल है, प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना है।
जमीन अधिग्रहण…300 से ज्यादा लोगों की टीम चंद किसानों का विरोध देख लौटी
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