जैसे-जैसे हज 2026 के लिए आवेदनों की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है, जम्मू-कश्मीर हज समिति को एक निराशाजनक वास्तविकता का सामना करना पड़ रहा है. इच्छुक तीर्थयात्रियों की ओर से काफी कम रिस्पॉन्स मिल रहा है.
31 जुलाई, 2025 की समय सीमा में अब कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक अब तक आवेदन नहीं मिले हैं. इससे धार्मिक नेताओं और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है.
अब तक कितने आवेदन मिले?
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 7,896 तीर्थयात्रियों के आवंटित कोटे के मुक़ाबले अब तक केवल 2,244 आवेदन ही प्राप्त हुए हैं. ये तब है जब हज के लिए मस्जिदों से घोषणाएं की गई, डिजिटल आउटरीच को बढ़ाया गया.
जिलेवार आंकड़े देखें तो सांबा में 87.61% कोटा भरा गया है (22 में से 19 सीटें). इसके बाद पुलवामा में 47.60%, श्रीनगर में 47.36% और कुलगाम में 32.90% कोटा भरा है.
इन जिलों से काफी कम आवेदन
हालांकि, अन्य क्षेत्रों में स्थिति बिल्कुल अलग है. पुंछ में 506 कोटे के मुकाबले केवल 51 आवेदन आए हैं, यानी केवल 10.08%. इसी तरह, डोडा (11.54%), किश्तवाड़ (17.46%), रामबन (17.89%) और रियासी (18.24%) का प्रदर्शन भी खराब है.
ये आंकड़े दिखाते हैं कि हज आवेदनों में तेज़ी से गिरावट आई है. 2017 में 35,000 से घटकर 2024 में 4100 से भी कम हो गए. कोटा आवंटन के अनुसार, भारत को हज 2025 के लिए कुल 1,75,025 स्थान प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 70% (1,22,550) भारतीय हज समिति (HCOI) को आवंटित किए गए हैं. इस वर्ष भी कोटा अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है, लेकिन मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में कम प्रतिक्रिया ने अधिकारियों को हैरान कर दिया है.
जम्मू-कश्मीर हज समिति के एक अधिकारी ने कहा, “कई पात्र मुसलमान झिझक या गलत सूचना के कारण आवेदन नहीं कर रहे हैं. कुछ लोग ‘अगली बार’ का इंतज़ार कर रहे हैं, जबकि अन्य जो बार-बार हज पर जाते थे, अब आवेदन नहीं कर पा रहे हैं, जिससे संख्या कम हो गई है.”
कितना आता है खर्च?
हज 2026 के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया इस महीने की शुरुआत में शुरू हुई थी. प्रत्येक तीर्थयात्री के लिए अनुमानित लागत 4,10,000 रुपये है, जो किश्तों में दे सकते हैं. फॉर्म भरने से लेकर दस्तावेज़ जमा करने तक की पूरी प्रक्रिया डिजिटल रूप से संचालित की जा रही है, जिसमें ऑफ़लाइन जमा करने का कोई प्रावधान नहीं है.
आवेदन में कमी को देखते हुए हज समिति ने स्थानीय मस्जिदों, सामुदायिक नेताओं और गैर-सरकारी संगठनों से उन लोगों की सहायता करने का अनुरोध किया है जो इच्छुक तो हैं, लेकिन तकनीकी रूप से तैयार नहीं हैं. 31 जुलाई, 2025 की अंतिम तिथि नजदीक आते ही समिति ने अंतिम अपील जारी की है, जिसमें सभी पात्र मुसलमानों – विशेषकर युवा पीढ़ी – से इस पवित्र जिम्मेदारी को पूरा करने का आह्वान किया गया है.
जम्मू-कश्मीर में हज को लेकर रुझान कम, आवेदन के आंकड़ों ने बढ़ाई धार्मिक नेताओं और प्रशासन की चिंता
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