जहरीली शराब पीने से इसी महीने अमृतसर के मजीठा में 30 लोगों की जानें चली गईं। इससे पहले भी पंजाब में 2020 और 2024 में जहरीली शराब की दो बड़ी घटनाएं हुई थी, इनमें 153 लोग मारे गए थे। भास्कर ने अमृतसर और संगरूर की इन दोनों घटनाओं की जांच रिपोर्ट की इनवेस्टिगेशन की। इसमें हैरान करने वाले तथ्य मिले हैं। अमृतसर की घटना के मुख्य आरोपी रक्षपाल सिंह को तो पुलिस गिरफ्तार ही नहीं कर पाई। क्योंकि 2023 में ही उसने अग्रिम जमानत ले ली थी। तीन अन्य मुख्य आरोपी बेल पर हैं। घटना के 6 साल बाद भी पुलिस इन पर आरोप सिद्ध नहीं कर पाई। वहीं, संगरूर की घटना में 3 एफआईआर हुईं। पहली घटना में सबसे पहले मरने वाले व्यक्ति की प|ी की शिकायत पर सुखविंदर व हरमनप्रीत को मुख्य आरोपी बनाया, बाद में उसी ने एफिडेविट दिया कि सुखविंदर का नाम गलती से लिया था। दूसरी घटना में प्रदीप समेत 4 लोग मुख्य आरोपी थे। गवाहों ने पहली बार तो इन्हें आरोपी बताया लेकिन दूसरी बार हुई गवाही में जिक्र तक नहीं किया। पुलिस ने भी कहा कि इनके पास से शराब बरामद नहीं हुई है। इसी ग्राउंड पर पुलिस ने मुख्य आरोपी सुखविंदर व प्रदीप को इनोसेंट बता छोड़ दिया। गवाह मुकरने पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चैलेंज तक नहीं किया। इसी घटना में नोएडा से केमिकल उपलब्ध कराने वाले 2 आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।{शेष पेज 2 पर अफसर लापरवाह, सरकार भी सुस्त {एक्साइज विभाग ने कहा; ऑनलाइन केमिकल खरीद-बिक्री का मसला इंडस्ट्रियल पॉलिसी का है। केमिकल से शराब बनी इसलिए हमें जिम्मेदार बना दिया। पुलिस का तर्क; शराब पीने से मौतें हुईं इसलिए यह लॉ एंड ऑर्डर का मसला बना। इससे पहले हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती थी। इसी तर्क पर सस्पेंड अफसर बहाल हए। {मांगा एथेनॉल भेजा मेथेनॉल, मंशा ही साबित नहीं कर पाई पुलिस; संगरूर की घटना के आरोपी मनप्रीत ने वेबसाइट से एथेनॉल मंगवाया। कंपनी ने पैनकार्ड और ~2 लाख लेकर 50-50 लीटर के 6 ड्रम मिथेनॉल भेज दिया। केमिकल भेजने वालों पर केस दर्ज तो हुआ पर मंशा साबित न कर पाने पर बेल मिल गई। पकोका के लिए कमेटी बनी, सिर्फ 2 बैठकें हुईं 2020 की घटना के बाद सरकार ने कमेटी बनाई और पंजाब कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड एक्ट (पकोका) बनाने को कहा। कमेटी की कुल ही 2 बैठकें हुईं। {दो साल पहले सरकार ने फैसला किया कि जहरीली शराब से मौतें रोकने के लिए 40% अल्कोहल वाले शराब के पाउच बनाएंगे। इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। { सस्पेंड अफसर- 2 डीएसपी, 4 एसएचओ, 7 आबकारी इंस्पेक्टर किए गए। { बहाल अफसर- सभी { कुल एफआईआर- 9 { घटना के समय आरोपी- 179 { छूट गए आरोपी- 87 ऑनलाइन केमिकल खरीद-बिक्री का नियम नहीं, इसे हम नहीं रोक सकते, इसी तर्क पर 17 सस्पेंड अफसर बहाल हुए प्रो. श्वेता शर्मा, पीयू फॉरेंसिक एक्सपर्ट अवैध शराब बेचने और उनका साथ देने वालों पर सख्ती के लिए विशेष टीमें गठित की जा रही हैं। केसों की मजबूती के लिए कानूनी विशेषज्ञों की राय लेंगे।- हरपाल चीमा, मंत्री, आबकारी विभाग फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में पिछली दो घटनाओं में जहरीली शराब पीने से मौत का कारण मिथेनॉल की अधिकता पाई गई है। किसी भी शराब में 20 फीसदी से अधिक मिथेनॉल मिलना ही खतरनाक माना जाता है। 2024 की घटना में इस्तेमाल जहरीली शराब में तो 70 फीसदी से अधिक मिथेनॉल पाया गया था। 2020 में अमृतसर व उसके आसपास के इलाकों में हुई घटनाओं में इस्तेमाल शराब में प्योर मिथेनॉल पाया गया था। इसके साथ-साथ कुछ गैसें भी मिलने की आशंका है। इसीलिए उस दौरान ज्यादा मौतें हुईं संगरूर की घटना में इस्तेमाल शराब में 70% मिथेनॉल था, 20% होते ही जहर बन जाता है पिछले दो मामलों की स्टेटस रिपोर्ट कड़वा सच… मातम के बाद जांच के आदेश; और फिर भूल जाती हैं सरकारें गवाह मुकरने पर आरोपी छूटे, पुलिस ने अदालत में दोबारा नहीं दी चुनौती 2020 : (अमृतसर, तरनतारन, बटाला), 132 मौतें रिपोर्ट अब तक अधूरी : तत्कालीन सीएम ने दो कमेटियां बनाईं। तरनतारन की घटना की जांच डीआईजी फिरोजपुर और बटाला व अमृतसर की घटना की जांच आईजी बॉर्डर रेंज को करनी थी। दोनों रिपोर्ट अधूरी हैं। मिथेनॉल से शराब बनाते समय टेंपरेचर और प्रेशर में गड़बड़ी से शराब हो जाती है जहरीली आमतौर पर शराब बनाने के लिए पुराने प्रोसेस में फल, गुड या ड्राईफ्रूट उपयोग होता है जिसे भट्टी पर पकाते हैं। फरमेंटेशन के बाद सेकेंड, थर्ड और फोर्थ, ट्रिपल डिजिल्ड करते हैं। डिजिटिलेशन से निकली शराब को खतरनाक नहीं मानते। ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में ये प्रोसेस इलेक्ट्रॉनिकल मॉनिटरिंग में होता है। लेकिन जहरीली शराब का जो प्रोसेस है उसमें मिथेनॉल ही प्राथमिक प्रोडक्ट है। इसमें शराब बनाने के पारंपारिक तरीकों की बजाए इंडस्ट्रियल मिथेनॉल का उपयोग होता है। इसको इथेनॉल में कनवर्ट करने के लिए यीस्ट, हाइड्रोऑक्साइड या यूरिक हाइड्रोऑक्साइड (यूरिया) आदि का उपयोग करते हैं। इसके लिए सही टेंपरेचर व सही प्रेशर की जरूरत होती है। यहीं पर गलती होती है और शराब जहरीली हो जाती है। पारंपरिक तौर पर पंजाब में निकाली जाने वाली शराब (लाहन) में भी मिथेनॉल रहता है लेकिन 20 फीसदी से अधिक मिथेनॉल रहने पर ही ये जहरीली होती है। – जैसा कि ननु जोगिंदर सिंह को बताया भास्कर एक्सपर्ट { सस्पेंड अफसर- आबकारी इंस्पेक्टर, एईटीसी, चौकी प्रभारी और थाना प्रभारी। { बहाल अफसर- सभी बहाल { एफआईआर- 3 { घटना के समय आरोपी- 26 { बरी हुए आरोपी- 4 2024 : (संगरूर) 21 लोगों की मौत अलग विंग का सुझाव फाइलों में दबा : तत्कालीन डीसी की बनाई कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी कि पंजाब पुलिस में अलग विंग बने जो केवल अवैध शराब बनाने और बेचने से रोकने का काम करे। रिपोर्ट पर चर्चा ही नहीं हुई।
जहरीली शराब से 6 साल में 183 मौतें, गवाह मुकरे तो पुलिस ने मुख्य आरोपियों को इनोसेंट बताकर छोड़ा
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