जाली रसीदों से बिकेथे गलाडा के मकान

by Carbonmedia
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गलाडा में हुए फ्लैट घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। जांच में सामने आया है कि 6 फ्लैट ऐसे बेचे गए, जिनकी फाइलों में किसी और फ्लैट की असली पेमेंट रसीदें लगाकर एनओसी जारी कर दी गईं। इससे सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह घोटाला दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन के बाद सामने आया था। रिपोर्ट छपने के बाद गलाडा ने चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। जांच में पाया गया कि जिस फ्लैट के लिए रसीद लगी थी, उसकी असल में पहले ही पेमेंट हो चुकी थी और उसे एनओसी मिल चुकी थी। उसी रसीद नंबर का इस्तेमाल दूसरी फाइल में कर दिया गया। फाइल को फिर एकाउंट्स ब्रांच में भेजा गया जहां सेटिंग के चलते बिना क्रॉसचेक एनओसी जारी कर दी गई। ये फ्लैट बेच दिए गए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि फाइलें पूरी तरह वैध दिखती थीं, जिससे पहली नजर में घोटाला पकड़ में ही नहीं आता। फिलहाल केवल 6 फ्लैट्स का पता चला है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह घोटाला व्यापक है और लंबे समय से चल रहा है। अब गलाडा अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। ऐसे हुआ फ्लैट घोटाला इस घोटाले का तंत्र सिस्टमैटिक था। जिस फ्लैट मालिक ने पूरा भुगतान किया, उसकी असली रसीद का नंबर गलाडा दफ्तर में बैठे एक कर्मचारी के पास पहुंचा। उसने वही नंबर दूसरी फाइल में जोड़ दिया, जबकि असल में उस फाइल का भुगतान हुआ ही नहीं था। इसके बाद फाइल को सीधे एकाउंट ब्रांच में भेजा गया, जहां पहले से सेटिंग थी। न ही रसीद की वैरिफिकेशन हुई, न ही बैंक से कोई क्रॉस चेकिंग। सीधे एनओसी जारी कर दी गई और फ्लैट का ट्रांसफर भी हो गया। इस पूरे खेल में कुछ कर्मचारी और अफसर शामिल थे। उस समय तैनात कर्मचारी इस षड्यंत्र का हिस्सा रहे। जांच में सामने आया कि जिन रसीदों का दुरुपयोग हुआ, वे असली थीं, लेकिन उन्हें दो जगह इस्तेमाल किया गया। इसका सीधा मतलब है कि सिस्टम में ब्रेकडाउन नहीं, बल्कि जानबूझकर गड़बड़ी की गई। अफसरों की भूमिका संदिग्ध जल्द ही एफआईआर हो सकती है.. गलाडा प्रशासन ने कहा है कि वह पहले पुलिस को शिकायत देगा। इसके बाद पूरे मामले का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया जाएगा। अभी आरोपी कर्मचारियों की पहचान की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद एफआईआर दर्ज हो सकती है। इसके साथ ही पूरे सिस्टम की स्क्रूटनी यानी दोबारा जांच भी संभव है, जिसमें यह देखा जाएगा कि और कितने ऐसे केस हुए हैं जहां एक ही रसीद दो फाइलों में इस्तेमाल की गई हो। यह भी तय किया जा सकता है कि जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए।

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