‘जिस भाषा में समझोगे, उसी में समझाएंगे’, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की मुस्लिम कट्टरपंथियों को दो टूक

by Carbonmedia
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Devkinandan Thakur In Sanatan Samvad Programme: मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम सनातन संवाद में रविवार (01 जून, 2025) को शिरकत की. जहां उन्होंने सनातन धर्म को लेकर खुलकर बातचीत की. साथ ही उन्होंने वक्फ बोर्ड कानून और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर बनाने को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जो जिस भाषा को समझेगा, उसी में समझाने की प्रय़ास होगा.


देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “जितने भी सनातनी हैं उन्हें एक बात समझ लेनी चाहिए कि बुद्ध भी हमारे हैं, राम भी हमारे हैं, कृष्ण भी हमारे हैं, ये भारत भी हमारा है और भारत की परंपरा भी हमारी है. भारत की परंपरा बिना राम और बिना बुद्ध के पूर्ण हो ही नहीं सकती है. इसलिए इस पर विवाद की नहीं बल्कि संवाद की जरूरत है.”


’मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर बनाने से परहेज क्यों?'


उन्होंने आगे कहा, “दूसरा मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 2019 से लेकर 2022 तक 5 हजार 600 करोड़ के करीब सरकार ने फंड भेजा है. मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 22 से 24 मस्जिदें हैं. अगर जो हिंदू बच्चे पढ़ते हैं और वो वहां पर मंदिर की बात करते हैं तो फिर इसमें किसी को परहेज क्यों है? जब सरकार पैसा दे रही है तो मुस्लिमों के विकास के लिए होना चाहिए और सनातनियों को विकास के लिए भी. इस देश में हिंदू होना अपराध तो नहीं है. अगर हम कहते हैं कि तुम अपने खुदा की पूजा करो तो उन्हें भी कहना चाहिए कि तुम अपने भगवान की पूजा करो. तब जाकर भाईचार पूरा होगा.”


उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं हो सकता कि हम तो भाई मानते रहें और तुम हमें चारा बनाकर खा जाओ. टिट फॉर टैट. जिस भाषा में समझोगे हम उसी भाषा का प्रयोग करेंगे और हमारा पहला ऑप्शन है कि हम शास्त्र और प्रेम की भाषा का प्रयोग करें.”


’वक्फ के पेपर दिखाने में तकलीफ क्यों?'


तीन तलाक और वक्फ के मुद्दे पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “वक्फ बोर्ड किसने बनाया था? 1954 में जब ये बना तो किसने बनाया? जब धर्म के नाम पर एक देश ले लिया और पाकिस्तान बना लिया तो जब पाकिस्तान बन गया तो यहां वक्फ बोर्ड क्यों? अगर वक्फ बोर्ड है तो उसके पेपर दिखाने में क्या तकलीफ है. जिनके कागज होंगे वो आपको दे दिया जाएगा, ले लीजिए अपनी जमीन. अभी मैं कानपुर में आया और बीच कानपुर में दोनों तरफ कब्रिस्तान बना रखे हैं. मुझे तो ऐसा लगता है कि एक कॉलोनी तो कानपुर में कब्रिस्तान के नाम पर ही है.”


’बांग्लादेश का पैटर्न बंगाल तक पहुंचा'


उन्होंने आगे कहा, “अगर मेरे विरोध में कोई चीज होती है तो क्या मैं सड़क पर निकलकर किसी की संपत्ति में आग लगा दूंगा क्या? मैं ऐसा नहीं कर सकता. मैं आंदोलन या धरना प्रदर्शन करके विरोध दर्ज करा सकता हूं. लेकिन ये हिंदू का घर है, इसलिए इसमें आग लगानी है या फिर ये हिंदू की दुकान है इसलिए इसे लूटना है. यही बांग्लादेश में पैटर्न था और यही चलकर बंगाल में आ गया. अगर इस चीज का हम सभी ने मिलकर विरोध नहीं किया तो जो बंगाल में हुआ वो कानपुर में भी हो सकता है.”


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