जींद में नर-कंकाल मिलने के मामले में खुलासा:तालाब की जगह होता था कब्रिस्तान, प्रशासन ने जांच करवाने से किया मना, दोबारा शुरू होगी खुदाई

by Carbonmedia
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हरियाणा के जींद में तालाब खुदाई के दौरान मिले नर कंकाल के मामले में खुलासा हुआ है। जहां पर नर कंकाल मिले हैं, वहां पहले कब्रिस्तान होता था। प्रशासन ने किसी भी तरह की जांच करवाने से मना करते हुए दोबारा से खुदाई के निर्देश दिए हैं। प्रशासन की तरफ से जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी प्रतीक जांगड़ा ने मौका मुआयना करने के बाद ग्रामीणों से बातचीत की। ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के समय तालाब की जगह कब्रिस्तान होता था। यहां पर मुर्दा दफनाए जाते थे। इसके बाद प्रशासन ने किसी तरह की जांच करवाने से मना कर दिया और मंगलवार से दोबारा तालाब खुदाई के निर्देश दिए हैं। यह था पूरा मामला
जींद में जुलाना क्षेत्र के गांव देवरड़ में मनरेगा के तहत तालाब के सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। तालाब को गहरा किया जाना है। इसमें करीब 85 मजदूर लगे हुए हैं। रविवार को मजदूर रोजाना की तरह काम में लगे हुए थे और तालाब की खुदाई में निकल रही मिट्‌टी को बाहर फेंक रहे थे। इसी दौरान एक मजदूर को मिट्‌टी में हड्‌डी दिखाई दी। जब उस हड्‌डी को ठीक से देखा तो पता चला कि वह इंसान की हड्‌डी थी। उस मजदूर ने फौरन इसकी सूचना ठेकेदार को दी। इसके बाद उसी स्थान पर और खुदाई की गई तो लगातार हड्डियां मिलती चली गईं। मानव शरीर के हर अंग की हड्‌डी मिली यह देखकर मजदूरों ने मौके पर काम बंद कर दिया और सभी एक जगह पर जमा होकर मिट्‌टी से निकल रहीं हड्डियों को ही देखते रहे। थोड़ी देर में वहां हड्डियों का ढेर लग गया। उसमें मानव शरीर के हर अंग की हड्डियां थीं। इससे अंदाजा लगाया गया कि ये पूरे मानव कंकाल हैं। इनमें हाथ, पैर, छाती और खोपड़ी कि हड्डियां हैं। नर कंकाल देखकर मजदूर डर गए। इसकी सूचना ब्लॉक डेवलपमेंट एंड पंचायत ऑफिसर (BDPO) को दी। खुदाई में कुछ प्राचीन और टूटे-फूटे मटके भी मिले हैं। इन सभी चीजों को मजदूरों ने एक स्थान पर जमा कर दिया है। मजदूरों ने दावा किया है कि एक नर कंकाल की लंबाई करीब 7 से 8 फुट होगी। करीब 10 कंकाल यहां मिले। खुदाई में मानव जबड़े भी मिले हैं, जिनका साइज आम आदमी के जबड़े से काफी बड़ा है। सोमवार को बीडीपीओ प्रतीक जांगड़ा ने गांव के सरपंच से लेकर बुजुर्गों से बातचीत की। कल से दोबारा शुरू होगा खुदाई का काम बातचीत में यह सामने आया कि यहां आजादी के समय कब्रिस्तान होता था। आजादी के बाद मुस्लिम समाज के लोग गांव को छोड़कर चले गए तो यह जमीन खाली हो गई। धीरे-धीरे यहां पानी एकत्रित होने लगा तो तालाब का रूप ले लिया। अब तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए तालाब की खुदाई शुरू की गई थी। बीडीपीओ ने कहा कि ग्रामीणों से बात की गई है। ग्रामीणों के अनुसार तालाब की जगह कब्रिस्तान होता था। मंगलवार से काम दोबारा शुरू किया जाएगा।

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