जींद में जुलाना के शहीद रामभगत को बांग्लादेश सरकार ने 1971 के युद्ध में उनके अहम योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है। यह पत्र शेख हसीना और राष्ट्रपति अब्दुल हमीद के हस्ताक्षर सहित 2018 में भेजा गया था, जो अब सात साल बाद परिजनों तक पहुंचा। शहीद रामभगत का परिवार जुलाना के वार्ड-1 में रहता है। वे द्वितीय जाट रेजिमेंट में सेवारत थे और 1971 के युद्ध में लड़ते हुए शहीद हो गए। बांग्लादेश सरकार ने अपनी 50वीं वर्षगांठ पर वीर शहीदों को याद करते हुए उनके परिजनों को प्रशस्ति पत्र भेजा है। 7 साल बाद परिजनों को मिला प्रशस्ति पत्र इस प्रशस्ति पत्र पर बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना और राष्ट्रपति अब्दुल हमीद के हस्ताक्षर हैं। हालांकि यह पत्र साल 2018 में भेजा गया था, लेकिन शहीद के परिवार तक पहुंचने में सात साल का समय लग गया। पूर्व सैनिक नरेंद्र लाठर ने कहा कि शहीदों की बदौलत ही आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि शहीद रामभगत ने अपने साहस का परिचय देते हुए लड़ाई लड़ी, जो सभी के लिए गौरव की बात है।
जुलाना के शहीद रामभगत को बांग्लादेश ने किया सम्मानित:7 साल बाद घर पहुंचा प्रशस्ति पत्र, 1971 के युद्ध में दी शहादत
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