जेल में बंद सांसद इंजीनियर रशीदद तिहाड़ में करेंगे भूख हड़ताल, ‘बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही…’

by Carbonmedia
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Jammu Kashmir News: जेल में बंद बारामूला सांसद और अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के अध्यक्ष इंजीनियर रशीद जेल में ही भूख हड़ताल करने जा रहे हैं. उन्होंने घोषणा की है कि वह कश्मीरियों को लगातार लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किए जाने के विरोध में तिहाड़ जेल के अंदर 24 घंटे की भूख हड़ताल करेंगे. यह भूख हड़ताल शनिवार, 28 जून को रात 8:00 बजे से रविवार, 29 जून को रात 8:00 बजे तक होगी.
ऐसा कहा जा रहा है कि यह भूख हड़ताल राष्ट्रीय दलों की उन सैकड़ों कश्मीरियों के बारे में चुप्पी को भी उजागर करने का प्रयास है, जो केवल राजनीतिक विश्वास रखने के कारण यूएपीए जैसे कठोर कानूनों के तहत तिहाड़ जेल और अन्य जेलों में सड़ रहे हैं.
‘बीजेपी और कांग्रेस का पाखंड उजागर होना चाहिए’
एआईपी के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी के अनुसार, इंजीनियर रशीद ने हाल ही में अपने परिवार के साथ एक बैठक के दौरान अपने निर्णय से अवगत कराया, जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों द्वारा एक-दूसरे पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाने का पाखंड उजागर होना चाहिए.
सांसद रशीद ने अपने परिवार से क्या कहा?
जेल में बंद सांसद रशीद ने अपने परिवार से कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर अपने-अपने शासन के दौरान स्वतंत्रता, आजादी और मौलिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. फिर भी, जब कश्मीरियों के संवैधानिक, लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों को छीनने की बात आती है, तो दोनों ही इसमें भागीदार हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी 1975 के आपातकाल के दौरान किए गए अत्याचारों को उजागर कर रही है, वह आसानी से भूल जाती है कि उसने पिछले 11 वर्षों में कश्मीरियों के साथ कैसा व्यवहार किया है. वैध राजनीतिक आवाज़ों को जेल में डाला गया, असहमति को दबाना और राजनीतिक विश्वास को अपराध के रूप में ब्रांड किया गया.”
रशीद ने ये भी कहा, ”दूसरी ओर कांग्रेस और अन्य, मोदी सरकार पर अघोषित आपातकाल लगाने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन यूएपीए जैसे कठोर कानूनों के तहत तिहाड़ और अन्य जेलों में बंद सैकड़ों कश्मीरियों के बारे में चुप रहते हैं. भूख हड़ताल का उद्देश्य भारत के लोगों को यह याद दिलाना है कि अतीत और वर्तमान आपातकाल पर बहसें होने के बावजूद, 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से कश्मीरियों के अधिकारों का निरंतर और व्यवस्थित हनन नहीं किया जा सकता है और न ही इसे भुलाया जाना चाहिए.

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