झज्जर में नेहरू कॉलेज में है संगीत विषय:9 जून तक होंगे कॉलेजों में ऑन लाइन आवेदन

by Carbonmedia
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झज्जर जिले में केवल राजकीय स्नातकोत्तर नेहरू महाविद्यालय, झज्जर में बीए में संगीत विषय उपलब्ध है। ख़ास बात यह है कि यहां संगीत गायन और वादन दोनों विषय उपलब्ध हैं और संगीत के ये दोनों विषय हरियाणा के बहुत ही कम कॉलेजों में हैं। झज्जर जिले के एक मात्र नेहरू कॉलेज में है संगीत विषय। संगीत विषय का कॉम्बिनेशन इतिहास, भूगोल और राजनीति विज्ञान जैसे मुख्य विषयों के साथ है। इसके अलावा संगीत गायन और संगीत वादन को भी एक साथ पढ़ा जा सकता है। गायन और वादन दोनों में विशेषज्ञता विद्यार्थी संगीत विषय में गायन (वोकल) और वाद्य वादन (इंस्ट्रूमेंटल) को चुनते हैं। गायन संगीत की वह शाखा है जिसमें मानव स्वर को साधन बनाया जाता है। यह राग, ताल, लय, भाव और अभिव्यक्ति के संतुलन से निर्मित होता है। वादन में किसी साज़ के माध्यम से संगीत की अनुभूति होती है। वादन में हारमोनियम, सितार, बांसुरी, तबला, वीणा, सरोद, पियानो, ड्रम्स और गिटार जैसे वाद्य यंत्रों का अभ्यास और तालों की संगति का ज्ञान होता है। कॉलेजों में एडमिशन के लिए 9 जून तक आन लाईन आवेदन किए जा सकते हैं। केवल शौक नहीं करियर भी मीडिया प्रभारी डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि संगीत विषय एक शौक़ या परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूर्णकालिक करियर बन चुका है। डिजिटल युग में संगीत में करियर के कई विकल्प हैं। गायक, वादक, कलाकार, संगीत शिक्षक, संगीत निर्देशक, म्यूजिक थैरेपिस्ट, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर स्वतंत्र संगीतकार बना जा सकता है और रेडियो, टेलीविज़न तथा फ़िल्म इंडस्ट्री में भी कार्य किया जा सकता है। इसके माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पहचान बन सकती है। आत्मा की भाषा है संगीत संगीत पढ़ना आत्मा की भाषा सीखना है। संगीत सुनते समय व्यक्ति ध्यान की अवस्था में चला जाता है, जिससे तनाव, चिंता, अवसाद जैसी मानसिक समस्याएँ कम होती हैं। आज की तेज़ रफ्तार भरी ज़िंदगी में जहाँ मानसिक तनाव और भावनात्मक असंतुलन आम हो गया है, वहाँ संगीत एक औषधि की तरह काम करता है। संगीत पढ़ने से विद्याथी न केवल तनावमुक्त रहते हैं, बल्कि उनके भीतर शांति, सहनशीलता और संतुलन का विकास होता है। रागों और सुरों की साधना मन को एकाग्र करती है और आत्मा को गहराई से जोड़ती है। सामूहिक सहयोग और सामाजिक कौशल में वृद्धि संगीत का अभ्यास अक्सर सामूहिक होता है। चाहे वह गायन में संगति हो, वादन में तालमेल हो या मंच प्रस्तुति में सहयोग। इससे छात्रों में टीमवर्क, सहिष्णुता, सुनने की आदत और सामाजिक संवाद की क्षमता विकसित होती है। आज के युग में ये कौशल किसी भी क्षेत्र में सफलता के मूल मंत्र हैं। आत्मविश्वास, मंच प्रस्तुति और संप्रेषण क्षमता को बढ़ाता है। यह विषय न केवल कला सिखाता है, बल्कि अनुशासन, आत्मीयता, सृजनशीलता और करुणा जैसे गुण भी विकसित करता है। इसलिए यदि आप जीवन को केवल समझना ही नहीं, बल्कि महसूस करना, गुनगुनाना और जीना चाहते हैं तो संगीत विषय चुनिए। यह न केवल आपके करियर को संवार सकता है, बल्कि आपकी आत्मा को भी सुरमयी बना सकता है।

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