झारखंड में वन्य आश्रय जीवों के लिए झारखंड सरकार के दावे अब लगातार फेल होते देखे जा रहे हैं, जहां कुछ दिन पहले आईडी डिस्पोज करते वक्त एक हाथी घायल हुआ और उसकी मौत हो गई.
वहीं पश्चिमी सिंहभूम जिले के टोंटो प्रखंड क्षेत्र में एक दंतैल विशाल हाथी की मौत हो गई है. यह घटना बीते बुधवार देर रात की बतायी जा रही है. हाथी को सुबह ग्रामीणों ने मृत पाया. हाथी के मृत होने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई.
मिट्टी के घर को भी हाथी ने तोड़ दिया
मिली जानकारी के अनुसार, दंतैल विशाल हाथी की मौत सिरिंगसिया घाटी मोड़ से थोड़े आगे स्थित पालीसाई की है. पालीसाई में कई घर हैं. बीती रात्री को लगभग 5-6 की संख्या में हाथियों का एक झुंड आया था. रात में हाथियों ने उत्पात मचाया.
पास के कटहल पेड़ के कटहल भी खाए. वहीं पालीसाई के एक मिट्टी के घर को भी हाथी ने तोड़ दिया. साथ ही अंदर घुस कर सामानों को क्षतिग्रस्त कर, अहले सुबह पास जंगल की ओर चले गए.
हाथियों की मौत वन विभाग के लिए चुनौती
इधर झुंड के एक हाथी की मौत कैसे हो गई और कब हुई, यह चर्चा का विषय है. लगातार हो रही मौत से वन विभाग के अधिकारियों में भी खलबली मची हुई है, जहां संरक्षित पशुओं के संरक्षण का विशेष प्रशिक्षण वन विभाग के हर एक पदाधिकारी और कर्मियों को दी जाती है.
वहां लगातार हाथियों की मौत झारखंड सरकार के वन विभाग के लिए चुनौती बनता जा रहा है. हाथी की मौत के कारणों का पता लगाने बिजली विभाग और वन विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे. मरे हाथी को देखने के लिए ग्रामीणों की भारी भीड़ लग गई.
‘प्रोजेक्ट एलिफेंट’ कार्यक्रम भी चलाया जा रहा
दंतैल हाथी (पुरुष हाथी, जिनके बड़े दांत होते हैं) संरक्षित पशु हैं, विशेष रूप से भारत में. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत हाथियों को अनुसूची-1 में सूचीबद्ध किया गया है, जिसका अर्थ है कि उनका शिकार करना या उन्हें नुकसान पहुंचाना एक गंभीर अपराध है, जिसमें 7 साल तक की कैद हो सकती है.
इसके अतिरिक्त, भारत में “प्रोजेक्ट एलिफेंट” नामक एक कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य हाथियों के संरक्षण और उनके आवास की रक्षा करना है.
झारखंड में फिर हाथी की मौत, वन विभाग के दावों पर उठ रहे सवाल, ग्रामीणों में दहशत
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