मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की मार्केट बैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में ₹1.36 लाख करोड़ कम हो गई है। इस दौरान देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज टॉप लूजर रही। इसकी वैल्यू ₹34,711 करोड़ कम होकर ₹18.51 लाख करोड़ रुपए रह गई है। वहीं, HDFC बैंक का मार्केट कैप इस दौरान 29,722 रुपए कम होकर ₹15.14 लाख करोड़ और ICICI बैंक की वैल्यू ₹24,719 करोड़ कम होकर 10.25 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। LIC की वैल्यू ₹17,678 करोड़ बढ़कर 5.77 लाख करोड़ इधर, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया LIC के शेयरों में खरीदारी रही और इसकी वैल्यू 17,678 करोड़ रुपए बढ़कर 5.77 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। इस दौरान TCS की ₹11,361 करोड़, SBI की ₹9,785 करोड़ और बजाज फाइनेंस की वैल्यू ₹186 करोड़ बढ़ी है। इस हफ्ते 742 अंक गिरा सेंसेक्स हफ्तेभर के कारोबार के बाद सेंसेक्स में इस हफ्ते 742 की गिरावट रही। 1 अगस्त को सेंसेक्स 80,600 पर बंद हुआ था। हफ्ते के आखिरी कारोबार दिन कल यानी शुक्रवार, 9 अगस्त को यह 79,858 पर आ गया। हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार, 8 अगस्त को सेंसेक्स 765 अंक गिरकर 79,858 पर बंद हुआ। 4 महीने बाद यह 80 हजार के नीचे आया। इससे पहले 9 मई को बाजार 79,454 पर आ गया था। निफ्टी में भी 246 अंक की गिरावट रही, ये 24,350 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 5 में तेजी और 25 में गिरावट रही। मेटल, IT, ऑटो और रियल्टी सेक्टर के शेयर्स में ज्यादा गिरावट रही। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है। इसे एक उदाहरण से समझें… मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी। कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं… 1. मार्केट कैप के बढ़ने का क्या मतलब है? 2. मार्केट कैप के घटने का क्या मतलब है? 3. मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है? कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है। निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं। उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।
टॉप-10 कंपनियों में 6 की वैल्यू ₹1.36 लाख करोड़ गिरी:रिलायंस का मार्केट कैप ₹34,711 करोड़ कम हुआ; बाजार 742 अंक टूटा
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