Donald Trump-Asim Munir Meeting: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच हुई व्हाइट हाउस मीटिंग ने कूटनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है. खास बात यह रही कि इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ या कोई भी नागरिक प्रतिनिधि मौजूद नहीं था. यह घटनाक्रम इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि पाकिस्तान में वास्तविक शक्ति अभी भी सेना के हाथों में है.
भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इस पूरी घटना को शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने ANI को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए शर्मनाक होगा कि उसका सैन्य प्रमुख अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करे और प्रधानमंत्री सीन से गायब हो. राजेश सिंह ने यह भी बताया कि पाकिस्तानी सेना आर्थिक फैसलों तक में हस्तक्षेप करती है, जो एक संरचनात्मक असंतुलन को दर्शाता है.
Strange that Pakistan PM isn’t invited, but Army Chief is: Defence Secy on Asim Munir’s meeting with Donald TrumpRead @ANI Story | https://t.co/loqDsjD8d3#AsimMunir #DonaldTrump #India pic.twitter.com/YpkRrsZMKi
— ANI Digital (@ani_digital) June 20, 2025
ट्रंप ने क्यों बुलाया आसिम मुनीर को?
व्हाइट हाउस से जारी बयान के अनुसार, ट्रंप ने आसिम मुनीर को इसलिए बुलाया क्योंकि उन्होंने भारत-पाक के बीच युद्ध रोकने में ट्रंप के कथित प्रयासों को नोबेल शांति पुरस्कार के योग्य बताया था, लेकिन यह तर्क पॉलिटिकल स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था. भारत सरकार ने इस बैठक के पीछे की मध्यस्थता की धारणा को पूरी तरह खारिज करते हुए दो टूक कहा कि 7–10 मई के सैन्य गतिरोध के बाद हुआ युद्ध विराम भारत और पाकिस्तान के DGMOs के आपसी संवाद से हुआ था. कोई तीसरा पक्ष मध्यस्थता में शामिल नहीं था. इसको लेकर पीएम मोदी ने ट्रंप पर फोन पर 35 मिनट तक बात की और सीजफायर के संबंध में अमेरिका को बताया कि इसके लिए वे जिम्मेदार नहीं ये आपसी सामंजस्य से संभव हो पाया.
भारत का पाकिस्तान को लेकर स्टैंड
भारत ने एक बार फिर दोहराया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती. पाकिस्तान की धरती से सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के बिना कोई भी द्विपक्षीय बातचीत संभव नहीं है. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर मौजूद आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था. इस हमले में 100 आतंकी मारे गए थे. इसके बाद सेना ने पाकिस्तानी हमले के जवाब में पड़ोसी मुल्क के कई एयरबेस को निशाना बनाकर तबाह भी कर दिया था.