डिनर टेबल की बातों से कम हो रहा मेंटल स्ट्रेस, फैमिली के साथ खाना खाने के ये हैं गजब के फायदे

by Carbonmedia
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आज की तेज रफ्तार से दौड़ती हुई जिंदगी में काम का प्रेशर स्ट्रेस और लगातार ऑनलाइन रहने की आदत लोगों को मेंटल रूप से थका रही है. ऐसे में डिनर पर साथ बैठकर खाना, खाना एक ऐसी परंपरा है जो एक बार फिर से आज के समय में जरूरी होती जा रही है.
पूरे दिन की भागदौड़ के बाद जब आप रात में परिवार के साथ डिनर करते हैं तो यह सिर्फ भूख मिटाने का जरिया नहीं बल्कि परिवार के साथ जुड़ने का एक मौका भी माना जाने लगा है. कई साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि डिनर के टाइम होने वाली बातचीत हमारे दिमाग को आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ा ब्रेक देती है. साथ ही यह मेंटल स्ट्रेस को भी कम करती है. चलिए तो आज आपको यहीं बताते हैं कि किस तरह से डिनर के दौरान की जाने वाली बातचीत मेंटल स्ट्रेस को कम कर रही है.
डिनर के टाइम परिवार से बातचीत मन को दे रही सुकून
डिनर टेबल पर जब आप परिवार के साथ बैठते हैं. तो उसे समय होने वाली छोटी-छोटी बातें न सिर्फ आपके दिन भर की थकान को दूर करती हैं बल्कि यह आपके मन को भी रिलैक्स करने का काम करती हैं. यह छोटी-छोटी बातें आपके शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन को सक्रिय करती है जिसे बॉन्डिंग हार्मोन भी कहा जाता है. इस हार्मोन से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल कम होता है और आपके मन को सुकून मिलता है. इस बातचीत से आप अपने आप को इमोशनल रूप से भी सिक्योर मानते हैं साथ ही इससे आपको अच्छी नींद भी आती है.
हम साथ-साथ वाले मोमेंट की फिर से वापसी है जरूरी
आपने अपने बचपन में एक लाइन तो जरूर सुनी होगी. कि जो परिवार साथ खाता है वह हमेशा साथ रहता है. यह सिर्फ कहने भर की बात नहीं थी बल्कि इसके पीछे गहरी समझ मानी जाती है. खाने के दौरान परिवार के सदस्य अपने दिन की अलग-अलग बातें करते हैं. जिसमें आपका दिन कैसा बीता और इन सब इसके अलावा पुरानी यादें भी साझा करते हैं. जिससे आपको आने वाले दिन के लिए ऊर्जा भी मिलती है.
हालांकि आज के समय में यह पल मोबाइल, टीवी और सोशल मीडिया की वजह से धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. लेकिन फिर भी रिसर्च कहती है कि आज की जनरेशन जिसे जेन जी जनरेशन कहा जा रहा है.वह भी डिनर के टाइम होने वाली छोटी-छोटी बातचीत को पसंद करती हैं. वहीं 1996 के बाद जन्मे युवाओं पर हुए एक रिसर्च में भी पाया गया है कि 64 प्रतिशत लोगों का मानना है कि उन्हें परिवार और दोस्तों के साथ सीरियस बातों पर डिस्कशन करना अच्छा लगता है.
एक्सपर्ट देते हैं डिनर के दौरान नाे फोन की एडवाइज
कई एक्सपर्ट रात के खाने के समय फोन को साइड में रखने की सलाह देते हैं. एक्सपर्ट बताते हैं की रात के खाने के समय पूरा ध्यान सिर्फ खाने और बातचीत पर होना चाहिए. एक्सपर्ट मानते हैं कि यह एक नॉर्मल लेकिन असरदार मेंटल थेरेपी होती है. वहीं ऐसे ही हर दिन के छोटे-छोटे पल हमें फिर से जीवन से जोड़ने लगते हैं.
बर्नआउट का इलाज भी छुपा है घर की थाली में
डब्ल्यूएचओ के अनुसार बर्नआउट एक ऐसा सिंड्रोम होता है जो लंबे समय तक ऑफिस के स्ट्रेस के कारण होता है. जिसे ठीक से मैनेज नहीं किया जा सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 58 प्रतिशत लोग वर्क बर्नआउट का सामना कर रहे हैं. ऐसे में जब आप दिन भर की थकान के बाद घर वापस जाते हैं और डिनर टेबल के पर अपनों के साथ बैठकर खाना खाते हैं तो वह माहौल आपके लिए थेरेपी जैसा काम करता है. डिनर टेबल पर खाना खाते समय बातचीत मुस्कुराहट यह वहीं पल होते हैं जो इंसान को मजबूत करते हैं.
बातचीत में है इलाज
साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि खाना खाने के समय बातचीत, हंसी मजाक और शांत बैठे रहना जुड़ाव के सबसे बड़े स्रोत हैं. जब पूरे दिन दुनिया आपको थका देती हैं तो वहीं साथ में खाना खाकर बातचीत करने की आदतें आपको वापस से जोड़ देती है.
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