डेंटल सर्जन भर्ती में फर्जीवाड़े की गूंज अब पानीपत तक:करनाल पुलिस कर रही गहन जांच, भाजपा पार्षद, वीएचपी नेता और एक अन्य पर FIR दर्ज

by Carbonmedia
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हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की वर्ष 2021 की डेंटल सर्जन भर्ती परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की जांच अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। करनाल के एक कारोबारी ने चार साल बाद सामने आकर पानीपत के तीन लोगों पर नौकरी लगवाने के नाम पर 15 लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। मामला अब करनाल सिविल लाइंस थाने पहुंच गया है जहां भाजपा पार्षद जयदीप अरोड़ा, विश्व हिंदू परिषद के जिला महामंत्री पुनीत बतरा और हरिद्वार निवासी आदित्य नागर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि FIR के बाद जांच गहराई से की जा रही है और पूरे मामले को बारीकी से खंगाला जा रहा है। तीनों किश्तों में दिए 15 लाख, नौकरी न लगी, पैसे भी नहीं लौटे
करनाल सेक्टर-8 पार्ट-2 निवासी सुरेश खुराना ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने बेटे को HPSC की डेंटल सर्जन भर्ती में चयनित करवाने के लिए तीनों आरोपियों को सितंबर 2021 में अलग-अलग तारीखों पर कुल 15 लाख रुपये दिए थे। लेकिन चार साल बीतने के बावजूद न तो नौकरी मिली और न ही रकम वापस की गई। रुपये देने की टाइमलाइन खुद खुराना ने FIR में बताई
20 सितंबर 2021: निर्मल कुटिया पुल के पास जयदीप अरोड़ा को 5 लाख रुपये दिए।
24 सितंबर 2021: पुनीत बतरा और जयदीप ने सनौली रोड स्थित तत्कालीन सांसद संजय भाटिया के कार्यालय में बुलाकर 5 लाख और लिए।
25 सितंबर 2021: अगले दिन जयदीप अरोड़ा ने खुराना को दिल्ली ले जाकर आदित्य नागर को यह रकम सौंप दी।
27 सितंबर 2021: जयदीप और पुनीत ने अंतिम 5 लाख की मांग की, जो जयदीप के घर तहसील कैंप में दिए गए। पुनीत बतरा बोले- मैंने खुद पुलिस को दी थी शिकायत
आरोपों पर वीएचपी जिला महामंत्री पुनीत बतरा ने सफाई दी है कि उन्होंने जनवरी 2024 में खुद एसपी पानीपत को शिकायत दी थी कि आदित्य नागर ने उनके माध्यम से नौकरी के नाम पर रुपये लिए हैं। उन्होंने दावा किया कि वे केवल सामाजिक सहायता के नाते जुड़े थे और अब उन्हें जबरन मामले में घसीटा जा रहा है। सांसद कार्यालय में हुई थी डील, फोन पर हुआ था अनिल नागर का नाम उजागर
FIR में खुराना ने यह भी लिखा है कि सांसद कार्यालय में मुलाकात के दौरान पुनीत बतरा ने आदित्य नागर से फोन पर बात करवाई थी। उस कॉल में आदित्य ने दावा किया था कि एचपीएससी के तत्कालीन उपसचिव अनिल नागर उसके भाई हैं और वह भर्ती प्रक्रिया को ‘मैनेज’ कर सकते हैं। खुराना के अनुसार, पहले डील 30 लाख रुपये की हुई थी, जो बाद में 25 लाख तय हुई। इसमें 15 लाख एडवांस और 10 लाख नियुक्ति के बाद देने की बात हुई थी। अनिल नागर पहले से फर्जीवाड़े में फंसे, हो चुकी बर्खास्तगी
गौरतलब है कि अनिल नागर का नाम वर्ष 2021 में एचपीएससी घोटाले में पहले ही सामने आ चुका है। नवंबर 2021 में वह 1.08 करोड़ रुपये कैश के साथ गिरफ्तार हुए थे। उस समय वे एचपीएससी में उपसचिव पद पर कार्यरत थे। लंबी जांच के बाद उन्हें 2023 में बर्खास्त कर दिया गया था। चार साल तक शांत रहे सुरेश खुराना, अब बोले- इंसाफ चाहिए
सुरेश खुराना का कहना है कि उन्होंने चार साल तक धैर्य रखा कि शायद रुपये वापस मिल जाएं, लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो पुलिस से शिकायत की। अब उन्हें कानून से न्याय की उम्मीद है। थाना प्रभारी बोले- सभी बिंदुओं पर गहनता से चल रही जांच
सिविल लाइन थाना प्रभारी श्रीभगवान ने बताया कि शिकायत के आधार पर तीनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया था। सभी बिंदुओं पर गहन जांच की जा रही है। अब इस मामले में आगे क्या कार्रवाई हुई है। इसकी जानकारी शाम को जांच अधिकारी से पता करके बता पाऊंगा क्योंकि अभी मेरी ड्यूटी प्रदर्शन में लगी हुई है। थाने में जाने के बाद ही केस का स्टेटस देखकर आपको सही जानकारी दे पाऊंंगा।

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