‘डॉक्टर डेथ’ का खूनी गुर्गा राजेंद्र अलीगढ़ से दबोचा गया, 21 साल से था फरार

by Carbonmedia
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Dr Death: 50 से ज्यादा हत्याएं करने वाला सीरियल किलर देवेन्द्र शर्मा उर्फ़ डॉक्टर डेथ के फरार गुर्गे राजेन्द्र उर्फ़ राजुआ को दिल्ली पुलिस ने अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है. राजेन्द्र बीते 21 सालों से पुलिस को चकमा दे रहा था. यहां भी वो पहचान छुपाकर रह रहा था.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि राजेंद्र को 14 जून को अपराध शाखा की एक टीम ने पकड़ा था.
2004 से था फरार
पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह सरिता विहार पुलिस थाने में दर्ज हत्या, अपहरण, सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश और साझा इरादे के 2004 के मामले में वांछित था. अधिकारी ने कहा कि अदालत ने इस मामले में राजेंद्र को भगोड़ा अपराधी घोषित किया था, लेकिन वह दो दशक से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचता रहा.
डॉ डेथ 19 मई को राजस्थान से हुआ था गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि राजेंद्र, देवेंद्र शर्मा उर्फ ​​डॉ. डेथ का करीबी साथी था, जिसे 19 मई को राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार किया गया था.
कुख्यात सीरियल किलर और आयुर्वेद चिकित्सक शर्मा को ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से भी जाना जाता है. उसे पिछले साल पैरोल से फरार होने के बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. हत्या के कई मामलों में दोषी ठहराए गए शर्मा (67) को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों से भरे हजारा नहर में पीड़ितों के शवों को फेंकने के लिए जाना जाता था. उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में हत्या के सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और यहां तक ​​कि गुरुग्राम की एक अदालत ने एक मामले में उसे मृत्युदंड की सजा भी सुनायी थी. पुलिस का मानना ​​है कि वह 50 से अधिक हत्याओं में शामिल था.
बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) डिग्री धारक शर्मा 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक ड्राईवरों  की नृशंस हत्या के लिए तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. वह 2023 में पैरोल मिलने के बाद फरार हो गया था. शर्मा और उसके साथी फर्जी यात्री बनकर ड्राईवरों को फंसाते थे, उसके बाद उनकी हत्या कर देते थे और उनके वाहनों को बेच देते थे. इसके बाद सबूत मिटाने के लिए शवों को हजारा नहर में फेंक दिया जाता था जिसमें मगरमच्छ रहते थे.
पुलिस ने बताया कि डॉ डेथ ने 1990 और 2000 की शुरुआत में  अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का गिरोह भी चलाया था. उसने डॉक्टरों  और दलालों की मदद से 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट कराने की बात कबूल की है. उन्होंने बताया कि शर्मा ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि 2000 के शुरू में सक्रिय उसके अपराध गिरोह का प्रमुख संचालक राजेंद्र अभी भी फरार है.
राजेन्द्र की गिरफ्तारी के लिए बिछाया जाल
जानकारी के आधार पर पुलिस की एक टीम ने अलीगढ़, जयपुर और दिल्ली सहित कई शहरों में राजेंद्र की तलाश शुरू कर दी. कई दिनों की निगरानी और सूचना के बाद  अंततःराजेन्द्र की लोकेशन अलीगढ़ के कासिमपुर में मिली. यहां वह एक अलग कमरे में रह रहा था और झूठी पहचान के साथ एक स्थानीय पंप हाउस में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहा था.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि राजेन्द्र, शर्मा और गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ कई हत्याओं में शामिल था, जिसमें मुख्य रूप से ट्रक और टैक्सी चालकों की हत्याएं हैं. पुलिस ने बताया कि राजेंद्र ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह 2003 में एक निजी विवाद के बाद शर्मा के गिरोह में शामिल हो गया था. अधिकारी ने बताया कि सभी संबंधित पुलिस थानों को उसकी गिरफ्तारी के बारे में सूचित कर दिया गया है और आगे की कानूनी कार्यवाही चल रही है.

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