तजम्मुल टू गोपाल…ढाबों का धार्मिक भ्रमजाल, कांवड़ यात्रा को लेकर जारी है सियासी धर्मयुद्ध

by Carbonmedia
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Kanwar Yatra 2025 News: सावन की शुरुआत अभी नहीं हुई है लेकिन देश में पिछले कई दिनों से कांवड़ यात्रा को लेकर हंगामा मचा हुआ है और सियासी धर्मयुद्ध चल रहा है. विवाद की शुरुआत मुजफ्फरनगर में हाइवे किनारे के एक ढाबे से हुई, पंडित जी वैष्णव ढाबे को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि आज गुरुवार (3 जुलाई) को इसे बंद कर दिया गया है. कांवड़ रूट के इस पूरे विवाद ने हिंदू मुस्लिम का रंग ले रखा है. बयानों की जंग चल रही है, राजनीति भी बहुत तेज है. ऐसे में दो सवाल सबके सामने उठ रहे हैं. 
पहला सवाल तो ये है कि कैसे कोई व्यक्ति कानून से ऊपर उठकर धर्म का ठेकेदार बन सकता है और दूसरा सवाल ये है कि किसी को भी अपनी पहचान छिपाने की जरूरत क्यों है? इन्हीं दो सवालों के बीच कांवड़ यात्रा का पूरा बवाल है. वैसे तो यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई से होनी है. यानी सावन चढ़ने के बाद लेकिन इस पर धर्म की सियासत का रंग अभी से ही चढ़ चुका है.
वहीं मौजूदा विवाद के केंद्र में दो चेहरे हैं, एक चेहरा है मुजफ्फरनगर के स्वामी यशवीर महाराज का जो इलाके के चर्चित धर्मगुरु हैं. दूसरा चेहरा है गोपाल उर्फ तजम्मुल का. स्वामी यशवीर के बारे में विस्तार से आगे बताएंगे पहले इस गोपाल उर्फ तजम्मुल की पूरी कुंडली जानिए जो कांवड़ के ताजा विवाद के केंद्र में हैं.
गोपाल उर्फ तजमुम्ल नाम का ये शख्स मुजफ्फरनगर के वैष्णव ढाबे पर काम करता है. 29 जून को इसने आरोप लगाया कि एक दिन पहले यानी 28 जून को इसके साथ बदसलूकी की कोशिश की गई. पहचान जानने के लिए इसकी पैंट उतारने की कोशिश हुई. उस दिन इसने मीडिया को अपना नाम गोपाल बताया लेकिन कल खुलासा ये हुआ कि ये गोपाल असल में तजम्मुल है और असली पहचान छिपाकर ये ढाबे पर काम कर रहा था. अब सवाल ये है कि तजम्मुल ने नाम क्यों छिपाया? बतौर तजम्मुल वो तीन महीने से इस ढाबे पर काम कर रहा था और इसी ढाबे पर काम करने वाले शख्स ने उसे गोपाल नाम दिया था.
अगले हफ्ते से हो रही है कांवड़ यात्रा की शुरुआत 
असल में दिल्ली-हरिद्वार रूट पर हाइवे के दोनों तरफ सैकड़ों ढाबे चलते हैं. हजारों मुसाफिर इन ढाबों पर रुकते हैं. अगले हफ्ते से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो रही है. ऐसे में सवाल ये कि इस रूट पर क्या पहचान छिपाकर काम करने और पहचान बदलकर ढाबा खोलने वालों का कोई बड़ा रैकेट चलता है? कई बार ऐसी खबरें पहले आती रही हैं कि दूसरे धर्म के लोग हिंदू देवी देवताओं के नाम पर दुकान और ढाबा खोलकर भ्रम फैलाते हैं और सावन के पवित्र महीने में कांवड़ियों का धर्म भ्रष्ट करते हैं.
कभी रोटी में थूक तो कभी पानी में थूक की तस्वीरें आईं हैं सामने
धर्म भ्रष्ट की बात इसलिए हो रही है क्योंकि इस रूट के ढाबों का अतीत बहुत अच्छा नहीं रहा है. पिछले कुछ महीनों में कभी रोटी में थूक तो कभी पानी में थूक की तस्वीरें आती रही हैं. अभी जिस दिन पैंट उतारने के आरोप का विवाद सामने आया उससे एक दिन पहले यानी 27 जून को ही इसी मुजफ्फरनगर के एक ढाबे से शाहनवाज नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया जो रोटी पर थूक लगाता कैमरे में कैद हुआ था. इन्हीं लोगों की वजह से कांवड़ के इस पावन मौके पर सरकार की तरफ से ये कहा गया था कि दुकानदारों को अपनी दुकान पर नेम प्लेट लगानी होगी, पहचान नहीं छिपानी होगी.
इसी कड़ी में इस विवाद के दूसरे किरदार यानी स्वामी यशवीर महाराज की एंट्री होती है. कायदे से सरकार के आदेश को तामिल कराना यानी अमल में लाने का काम प्रशासन का होता है. लेकिन ये बीड़ा उठा लिया मुजफ्फरनगर के स्वामी यशवीर महाराज ने.
हरिद्वार तक हाइवे पर बने ढाबों की जांच जारी
स्वामी यशवीर अपने लोगों के साथ ढाबों की जांच पड़ताल करने निकल पड़े. पिछले कई दिनों से उनकी टीम का ये काम जारी है. हरिद्वार तक हाइवे पर जितने भी ढाबे हैं उन ढाबों की जांच पड़ताल की जा रही है. खुद यशवीर महाराज भी खाने पीने की दुकानों पर जाकर जांच कर रहे हैं.
दुकानों पर लगे यूपीआई स्कैनरों को किया जा रहा स्कैन
बाकायदा दुकानदारों को भगवान वराह की तस्वीर और धर्म ध्वज दे रहे हैं ताकि इसे वो हिंदू दुकान की पहचान के तौर पर अपनी अपनी दुकानों पर लगाएं. स्वामी यशवीर के साथ चल रहे लोग दुकानों पर लगे यूपीआई स्कैनर से स्कैन करके ये पता लगा रहे हैं कि दुकानदार का नाम क्या है वो किस धर्म का है.

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