हाल के दिनों में इंडियन टूरिस्ट्स की इंटरनेशनल ट्रैवल प्रेफरेंसेज में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. भारतीयों ने कभी तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों को भरपूर प्यार दिया था, अब वहां भारतीय टूरिस्ट्स के फुटफॉल काफी ज्यादा गिरावट आई है. इसके अलावा मालदीव भी भारतीय पर्यटकों की टूरिस्ट लिस्ट से बाहर होता दिख रहा है. हालांकि, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे साउथ-ईस्ट एशियन देश तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं.
तुर्की-अजरबैजान से क्यों हटे भारतीय पर्यटक?
तुर्की और अजरबैजान कभी भारतीय पर्यटकों के लिए पसंदीदा बजट-फ्रेंडली डेस्टिनेशंस थे. खासकर अपनी कल्चरल रिचनेस और खूबसूरत लैंडस्केप्स के लिए. हालांकि, हाल ही में इन देशों के लिए भारतीय पर्यटकों की संख्या में तेज गिरावट देखी गई है.
ऑपरेशन सिंदूर का असर: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हवाई हमलों के बाद तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया. इससे भारतीय पर्यटकों में इन देशों के प्रति नाराजगी बढ़ी है, जिसके कारण उन्होंने इन देशों का बायकॉट करना शुरू कर दिया है.
वीजा एप्लीकेशन में कमी: बताया जा रहा है कि इन दोनों देशों के लिए वीजा एप्लीकेशंस में लगभग 42% की कमी आई है. मई 2025 में तुर्की में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 24% और अजरबैजान में 21% की गिरावट दर्ज की गई है, जो इस बायकॉट का सीधा असर है.
वियतनाम-इंडोनेशिया फेवरेट लिस्ट में शामिल
जहां कुछ देश भारतीयों की फेवरेट लिस्ट से बाहर हो रहे हैं. वहीं, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश भारतीय पर्यटकों के लिए नए हॉटस्पॉट बन रहे हैं.
वीजा में आसानी और कनेक्टिविटी: पर्यटन क्षेत्र के एक्सपर्ट्स के अनुसार, वियतनाम, इंडोनेशिया और मिस्र जैसे देशों के लिए वीजा एप्लीकेशंस में करीब 31% की वृद्धि हुई है. डायरेक्ट फ्लाइट्स और वीजा ऑन अराइवल जैसी सुविधाओं ने इन देशों को और भी अट्रैक्टिव बना दिया है. उदाहरण के लिए, मुंबई और जकार्ता के बीच इंडिगो जैसी एयरलाइंस ने सीधी उड़ानें शुरू की हैं, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर हुई है.
किफायती विकल्प: भारतीय पर्यटक हमेशा किफायती ट्रैवल ऑप्शन्स की तलाश में रहते हैं. वियतनाम और इंडोनेशिया न केवल खूबसूरत डेस्टिनेशंस हैं, बल्कि यहां रहना, खाना और घूमना भी दूसरे कई देशों के मुकाबले सस्ता है.
कल्चरल अट्रैक्शन: इन देशों की रिच कल्चर, हिस्टोरिकल साइट्स और नेचुरल ब्यूटी सुंदरता भी भारतीय पर्यटकों को अट्रैक्ट कर रही है.
मालदीव भी आउट ऑफ फेवर
मालदीव भी कभी भारतीय पर्यटकों का पसंदीदा लग्जरी डेस्टिनेशन था, अब वहां भी भारी गिरावट देखी जा रही है.
राजनीतिक तनाव: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भारत-विरोधी रवैये और भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के डिसीजन के बाद भारत और मालदीव के संबंधों में खटास आ गई थी.
बायकॉट कैंपेन: इस तनाव के बाद भारत में बायकॉट मालदीव और विजिट लक्षद्वीप जैसे सोशल मीडिया कैंपेन चले, जिसका सीधा असर मालदीव के पर्यटन पर पड़ा. कुछ ही महीनों में मालदीव पहुंचने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 38% से 41% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि लक्षद्वीप जाने वाले भारतीयों की संख्या दोगुनी हो गई है.
यह ट्रेंड दिखाता है कि भारतीय पर्यटक अब अपनी ट्रैवल चॉइस में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को भी इंपॉर्टेंस दे रहे हैं. साथ ही, वे नए और किफायती ऑप्शन्स की तलाश में हैं, जो उन्हें बेहतर वैल्यू और एक्सपीरियंस दे सकें.
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