दादरी में किसान संगठनों ने मुआवजे की उठाई मांग:कहा-जलभराव व टिड्‌डी से फसलों को हुआ नुकसान,प्रति एकड़ 50 हजार दे सरकार

by Carbonmedia
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चरखी दादरी जिले में किसान संगठनों ने फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। किसान संगठनों का कहना है कि बारिश के कारण फसलों में जलभराव होने और टिड्‌डी दल के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई के लिए सरकार किसानों को प्रति एकड़ 50 हजार रुपए मुआवजा दे। इसके अलावा कृषि विभाग से टिड्डी दल के नुकसान से खरीफ फसलों को बचाने के लिए दवा छिड़काने की तुरंत व्यवस्था करने की मांग की है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने फसलों ने निरीक्षण के बाद कहा कि टिड्‌डी दल नहीं ग्रास हॉपर का नुकसान है जिसके बचाव के लिए किसान दवा का छिड़काव करें।
50 हजार प्रति एकड़ मुआवजे की मांग
एमएसपी किसान मोर्चा प्रदेश संयोजक जगबीर घसौला ने कहा कि चरखी दादरी जिले के कई गांवों के खेतों में बरसाती पानी जमा होने के कारण फसलें खराब हो रही हैं। इसके अलावा कई गांवों में गांव में टिड्‌डी दल ने फसलों में नुकसान कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग है कि जलभराव और टिड्‌डी दल के नुकसान की स्पेशल गिरदावरी करके किसानों को प्रति एकड़ 50 हजार रुपए मुआवजा देकर नुकसान की भरपाई की जाए। जल निकासी का नहीं किया गया प्रबंध
जगबीर घसौला ने कहा कि भाकियू के प्रतिनिधिमंडल सदस्यों ने बरसात का मौसम आने से पहले सिंचाई विभाग और बिजली निगम के अधिकारियों को जल भराव की समस्या का तुरंत समाधान करने की मांग उठाई थी। लेकिन समस्या के अनुरूप जल निकासी का प्रबंध करने में सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है। जिसका खामियाजा आज जिले के किसान उठा रहे हैं।
टिड्‌डी दल के प्रकोप से कृषि विभाग को करवाया अवगत
जगबीर घसौला ने बताया कि कृषि विभाग के एडीओ और एसडीओ को टिड्डी दल के प्रकोप से अवगत करवाया दिया गया है। जिसके पश्चात घसौला,टिकान कलां,कपूरी, चरखी दादरी इत्यादि गांव की रिपोर्ट तैयार करवाकर दवा छिड़काव के लिए उच्च अधिकारियों को भिजवाई गई है। ताकि प्रभावित फसलों में ड्रोन से दवा का छिड़काव करवाया जा सके और खरीफ की फसलों को टिड्डी दल के नुकसान से बचाया जा सके।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किया निरीक्षण कृषि विभाग से डा. सज्जन सिंह ने डा. विकास को साथ लेकर जिला के विभिन्न गांवों घसौला, कपूरी, टिकाण आदि का दौरा कर बाजरा आदि फसलों का निरीक्षण किया। इस दौरान बाजरा के खेतों का सर्वे करने पर पाया कि बाजरा के खेतों में टिड्डी का प्रकोप नहीं है। खेतो में ग्रास हॉपर मिला है, जिसको आम भाषा में फड़का भी कहते हैं। यह फसल को छोटी अवस्था से लेकर पूरे वृद्धि तक तक नुकसान पहुंचाता है। यह पत्तों के किनारे से खाते हैं। जिससे कि भारी प्रकोप की अवस्था में केवल पत्तों की मध्य शिखाएं और कभी-कभी तो केवल पतला तना ही रह जाता है। फसल छोटी रह जाती है और बढ़वार के रुकने की अवस्था में कभी -कभी दाने नहीं बनते। फसल पर इन कीड़ों की संख्या बहुत होती है। ऐसे करें बचाव
इसकी रोकथाम के लिए 500 मिलिलीटर मैलाथियान 50 ईसी का छिड़काव 250 लीटर पानी में प्रति एकड़ करें। छिड़काव करते समय किसान हाथों में दस्ताने व मुंह को ढककर रखे और आंखों पर चश्मा पहने। इसके साथ ही किसानों सलाह दी गई है कि इस दवा के छिड़काव के 7 से 10 दिन तक फसल को पशु चारे के रूप में प्रयोग ना करें।

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