दादरी में 96 साल की महिला ने आंखें की दान:दोनों बेटे खोने पर लिया निर्णय, दो लोगों की जिंदगी में होगा उजियारा

by Carbonmedia
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चरखी दादरी जिले के गांव अटेला कलां निवासी 96 साल की बुजुर्ग महिला ने मरणोपरांत आंखें दान कर दो लोगों को रोशनी देने का काम किया है। महिला ने दो बेटे खोने के बाद खुद की जिंदगी में अंधेरा होने के बाद दूसरों की जिंदगी में उजियारा करने की ठानी और योग कर इतनी अधिक उम्र में भी खुद को स्वस्थ्य रखा। बुधवार को उनके निधन के बाद चरखी दादरी सिविल अस्पताल से टीम ने पहुंचकर आंखें प्राप्त की। योग अपनाया
अक्सर देखने में आता है कि 90 साल के बुजुर्ग अपनी आंखों की रोशनी खो देते है और दूसरे के सहारे रहते हैं। लेकिन इन सब के विपरीत चरखी दादरी जिले के अटेला कलां निवासी 96 वर्षीय नंद कौर ने योग को अपनाकर ताउम्र ना केवल खुद व आंखों को स्वस्थ रखा बल्कि मृत्यु के बाद उनकी आंखों दूसरे लोगों के जीवन को भी रोशनी देने का काम करेंगी। महिला ने मरणोपरांत अपनी आंखें दान की हैं। दादरी सिविल अस्पताल की टीम पहुंची गांव
नंद कौर का 96 साल की उम्र में अटेला कलां में बुधवार को निधन हुआ। जिसके बाद चरखी दादरी सिविल अस्पताल से डा.वरूण मित्तल, डा.विजय कुमार और डा.योगेश की टीम गांव पहुंची और महिला की मौत के दो घंटे बाद आंखें ले ली। आंखें स्वस्थ थी
डा.वरूण मित्तल ने बताया कि जो डोनर होता है उसकी आंखों का चैकअप किया जाता है। आंखें सही होने पर ही ली जाती है। टीम द्वारा उनकी आंखों का चैकअप किया गया था और आंखें सही होने पर ही दोनों आंखें ली गई है जो दो लोगों को रोशनी देने का काम करेंगी। बेटों की मौत के बाद लिया निर्णय
नंद कौर के नातिन एवं दत्तक पुत्र नरेश ने बताया कि उनके दो बेटे थे। दोनों की मौत होने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी में तो अंधेरा हो गया लेकिन वे दूसरों की जिंदगी में उजियारा करेंगी। उसके बाद से उन्होंने योग को अपनाया और 18 साल तक जमीन पर सोते हुए खुद को स्वस्थ रखा। 96 साल की उम्र में भी उनकी आंखें स्वस्थ थी और उन्होंने आंखें दान की हैं।
एक्सीडेंट व करंट से हुई बेटों की मौत
नंद कौर का मायका भिवानी जिले के फरटिया केहर में है और ससुराल राजस्थान के बनगोठड़ी में। पहले उनके 25 वर्षीय बेटे राजेंद्र पूनियां की करंट लगने से मौत हो गई बाद में दूसर बेटे रामकुमार को भी सड़क हादसे में खो दिया। दो बेटों के अलावा उनकी दो बेटियां भी है। बेटों की मौत के बाद वह अटेला कलां में बेटी के पास रहने लगी और उसके बेटे नरेश को गोद ले लिया और यहीं रहने लगी।
7 फौजी भाईयों की बहन थी नंद कौर
नरेश ने बताया कि नंद कौर सहित वे चार बहने और 7 भाई थे। उसके सभी 7 भाई सेना में थे जिनमें से दो फ्रीडम फाइटर रहे।

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