दिल्ली के वसंत कुंज के नीचे 1550 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण कार्य पूरा, फेज़-IV में अब तक कितना हुआ काम?

by Carbonmedia
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Delhi Metro Update: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने फेज़-IV के अंतर्गत एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर के किशनगढ़ और वसंत कुंज मेट्रो स्टेशनों के बीच भूमिगत सुरंग निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाली टनल बोरिंग मशीन (TBM) बुधवार सुबह वसंत कुंज मेट्रो स्टेशन पर 1550 मीटर लंबी सुरंग की खुदाई के बाद बाहर निकली.
इस सुरंग की खुदाई के लिए 91 मीटर लंबी अत्याधुनिक TBM का उपयोग किया गया, जो कि दिल्ली मेट्रो के लिए कोई नया उपकरण नहीं, लेकिन हर बार यह नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. यह सुरंग अप और डाउन दोनों लाइनों के लिए दो समानांतर गोलाकार मार्गों में बनाई गई है, जिनमें से एक का निर्माण पहले ही 6 मार्च 2025 को पूरा हो चुका है.
लगभग 23 मीटर की गहराई पर बनी सुरंग में 1105 रिंग लगाए गएडीएमआरसी के प्रधान कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने एबीपी लाइव को बताया कि, 22.86 मीटर की औसत गहराई पर बनी इस सुरंग में 1105 रिंग लगाए गए हैं, जिनका आंतरिक व्यास 5.8 मीटर है. इसकी निर्माण प्रक्रिया में अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मैथड (EPBM) जैसी उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें सुरंग की दीवारों को प्रीकास्ट कंक्रीट रिंग से लाइन किया जाता है. ये रिंग मुंडका स्थित एक मशीनीकृत कास्टिंग यार्ड में तैयार किए गए थे और इन्हें स्टीम क्योरिंग प्रणाली से त्वरित मजबूती दी गई.
फेज़-IV में अब तक 40 किलोमीटर भूमिगत रूट का हुआ निर्माणसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, निर्माण के दौरान आस-पास की संरचनाओं के नीचे अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों की मदद से ज़मीनी गतिविधियों पर लगातार नज़र रखी गई, जिससे किसी भी प्रकार के सेटलमेंट या नुकसान की संभावना को पूरी तरह समाप्त किया जा सके.
डीएमआरसी के अनुसार, फेज़-IV के अंतर्गत अब तक कुल 40.109 किलोमीटर भूमिगत रूट का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर में 19.343 किलोमीटर हिस्सा भूमिगत है.
बताते चलें कि, टनल बोरिंग मशीनें आज के समय में भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में भूमिगत निर्माण कार्यों का अहम हिस्सा बन चुकी हैं. दिल्ली मेट्रो में इनका इस्तेमाल फेज़-I से ही होता आ रहा है और फेज़-III के दौरान करीब 50 किलोमीटर लंबे अंडरग्राउंड खंड के निर्माण में लगभग 30 TBM का प्रयोग किया गया था.

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