दिल्ली: चांदनी चौक में MCD की ‘सीलिंग’ को लेकर व्यापारियों की उड़ी नींद, मंत्री को सौंपा ज्ञापन

by Carbonmedia
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दिल्ली के ऐतिहासिक चांदनी चौक के व्यापारी इस बार त्योहारी तैयारी की जगह सीलिंग की चिंता में डूबे हैं. बाजार में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की कार्रवाई और नोटिसों ने कारोबारियों की नींद उड़ा दी है. MCD की सीलिंग कार्रवाई ने दो दशक से ज्यादा पुरानी दुकानों को भी अपनी जद में ले लिया है और अब यहां के व्यापारी सीलिंग की लटकती तलवार से परेशान हो रहे हैं. दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के दर्जनों अधिकारी और व्यापारी मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से मिलकर इस गंभीर मामले पर चर्चा करते हुए ज्ञापन सौपा.  
80 दुकानों पर नोटिस, कारोबारियों में हड़कंप
एमसीडी ने चांदनी चौक के दो अलग-अलग इलाकों में करीब 80 दुकानों को सीलिंग का नोटिस थमा दिया है. कुछ दिन पहले कटरा नील में दो दुकानें सील की जा चुकी हैं और करीब 20 और दुकानों पर तलवार लटक रही है. 
एमसीडी की यह कार्रवाई निष्पक्ष नहीं- व्यापारी
इसके अलावा कूचा महाजनी की 27 साल पुरानी बिल्डिंग संख्या 1240 पर भी नोटिस चस्पा कर दिया गया है, जिसमें वर्षों पुरानी करीब 50 दुकानें चल रही हैं. व्यापारियों का कहना है कि एमसीडी की यह कार्रवाई निष्पक्ष नहीं है. उनका आरोप है कि दो बिल्डरों के विवाद की वजह से एमसीडी पूरी बिल्डिंग की 50 दुकानों को सील कर रही है, जबकि यहां दशकों से कारोबार चल रहा है.
व्यापारिक संगठनों का विरोध, आंदोलन की चेतावनी
वहीं, दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के महासचिव श्रीभगवान बंसल ने कहा, ”नोटिस पूरी तरह नियमों के खिलाफ है. अगर कार्रवाई जारी रही तो व्यापारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे.” जबकि, ऑल बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश सिंघल ने कहा कि सभी बाज़ार एकजुट हैं और किसी भी हालत में दुकानों को सील नहीं होने देंगे.
चुनावी वादों पर उठे सवाल
एमसीडी की इस कार्रवाई और नोटिस के बाद व्यापारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं ने सीलिंग रोकने का वादा किया था, लेकिन अब वही वादे खोखले साबित हो रहे हैं. कारोबारियों ने साफ कहा कि अगर कार्रवाई नहीं रुकी तो बड़ा आंदोलन होगा.
20 साल बाद याद आया नक्शा?
सर्राफा कारोबारियों ने सवाल उठाया कि जब 1995 में बिल्डिंग बनने के बाद 2001 से 2004 के बीच दुकानदारों ने रजिस्ट्री कराकर कारोबार शुरू किया, तब एमसीडी चुप क्यों रही? क्या तब उन्हें नक्शे की याद नहीं आयी? उन्होंने कहा कि वे हर साल टैक्स भी जमा कर रहे हैं, फिर अचानक से अब अवैध निर्माण का मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है.
दुकानदारों ने साफ चेतावनी दी है कि, चाहे उन्हें सड़कों पर उतरना पड़े या कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़े, वे अपनी दुकानों को सील नहीं होने देंगे. उनका कहना है कि चुनाव के बाद सांसद ने बैठक में समस्याओं के समाधान का भरोसा दिया था, लेकिन आज वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

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