दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा ने संभाला पदभार, इन चुनौतियों से होगा सामना

by Carbonmedia
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आईपीएस एस.बी.के. सिंह को दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद से हटाए जाने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश गोलचा ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर का पदभार ग्रहण कर लिया है. राजधानी की कमान उनके हाथों में आने के साथ ही उनके अनुभव और सहज स्वभाव को लेकर सकारात्मक उम्मीदें जताई जा रही हैं. लेकिन, दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर में उनके सामने कई गंभीर चुनौतियां भी खड़ी हैं जिनसे निपटना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.
दिल्ली पुलिस महासंघ और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों द्वारा दिल्ली के नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा को शुभकामनाएं दी गई हैं. महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं पूर्व एसीपी वेद भूषण ने गोलचा के समृद्ध और प्रतिष्ठित करियर का ज़िक्र करते हुए उनके सफल कार्यकाल की कामना की. हालांकि, गोलचा के नियुक्ति का घटनाक्रम काफी दिलचस्प रहा.
उनसे पहले कमिश्नर बनाए गए एस.बी.के. सिंह का कार्यकाल मात्र 21 दिन रहा. अचानक हुए बदलाव से पुलिस महकमे के भीतर कई तरह की चर्चा छिड़ी हुई है. कुछ सूत्र इसे राजनीतिक हस्तक्षेप मानते हैं, तो कुछ इसे हाल ही में सीएम पर हुए हमले से उपजी नाराजगी को इसकी वजह बता रहे हैं.
नए कमिश्नर के सामने हैं ये चुनौतियां
महासंघ के पदाधिकारियों के मुताबिक, सिंह को सिर्फ संसद सत्र के लिए अस्थाई तौर पर लाया गया था, हालांकि उनके अचानक स्थानांतरण में तर्क ढूंढना मुश्किल है. दिल्ली पुलिस के नए कमिश्नर सतीश गोलचा का प्रशासनिक अनुभव काफी व्यापक है. वे इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के डीजी, सीबीआई के अधिकारी और कई ज़िम्मेदार पदों पर रह चुके हैं. महासंघ की मांग भी यही थी कि, अगला कमिश्नर AGMUT कैडर से हो, जिससे दिल्ली की परिस्थितियों और पुलिस बल की संवेदनाओं को बेहतर समझ मिल सके.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, पुलिस कमिश्नर गोलचा के लिए आगे का सफर आसान नहीं है. राजधानी में इस वक्त कोर्ट्स में हड़ताल, पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार, हरियाणा बॉर्डर बेल्ट में बढ़ते गैंगस्टर और साइबर क्राइम जैसी मुश्किलें सामने हैं. आए दिन शूटआउट, फिरौती व डकैतियों की घटनाएं सामने आ रही है. अपराध का पैटर्न तेजी से बदला है, जिससे निपटने के लिए नए दिल्ली पुलिस आयुक्त को नई रणनीति अपनानी होगी, जिससे इस तरह के अपराध पर नियंत्रण पाया जा सके.
गिरता मनोबल और धूमिल होती पुलिस की छवि
पूर्व एसीपी ने आगे कहा कि, आज के डिजिटल दुनिया में साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ी है, लेकिन दिल्ली पुलिस की जांच क्षमता उस गति से विकसित नहीं हो पाई है. साइबर अपराध खास तौर पर आर्थिक धोखाधड़ी के मामलों में पीड़ितों को एफआईआर दर्ज कराने में भारी दिक्कतें आती हैं. जिन्हें दूर करने की दिशा में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को कठोर कदम उठाने होंगे.
साथ ही एफआईआर दर्ज करने की व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा. वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों की मनोदशा भी अस्थिर है. जब कमिश्नर का ही 21 दिन में तबादला हो सकता है, तो निचले स्तर पर असुरक्षा का माहौल स्वाभाविक है. सतीश गोलचा को पुलिसकर्मियों के गिरते मनोबल को बहाल करना होगा.
पूर्व एसीपी ने कहा कि, दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन है. ऐसे में अक्सर राजनीतिक दबाव और हस्तक्षेप की बातें सामने आती है. ऐसे में नए पुलिस कमिश्नर को इस संतुलन को साधते हुए पेशेवर तरीके से काम करना होगा. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए गोलचा को कर्मठ, निष्ठावान और मिलनसार अधिकारी बताया. वे मानते हैं कि अगर सही नेतृत्व और दिशा मिले तो दिल्ली पुलिस अपनी पुरानी प्रतिष्ठा वापस पा सकती है. AGMUT कैडर के अधिकारी के रूप में गोलचा का कमिश्नर बनना अन्य आईपीएस अधिकारियों के लिए भी एक सकारात्मक सन्देश है.
अंत में उन्होंने कहा कि, दिल्ली पुलिस महासंघ पूरी ताकत से अपने नए कमिश्नर के साथ खड़ा है और विश्वास जताया है कि, वे ईमानदारी से चुनौतियों के हल के लिए काम करेंगे, जिससे न केवल विभाग की प्रतिष्ठा बहाल हो बल्कि जनता का भरोसा भी पुख्ता हो.

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