दिल्ली में एग्जाम सेंटर पर फर्जीवाड़े का सनसनीखेज खुलासा: चार गिरफ्तार, स्कूल स्टाफ और महिला भी शामिल

by Carbonmedia
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Delhi News: दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश में सरकारी नौकरी के लिए आयोजित एक परीक्षा में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है. साउथ दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक इंटर-स्टेट गैंग के 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक स्कूल का सुपरिंटेंडेंट, एक टीचर और एक महिला शामिल हैं. इस रैकेट ने 8 लाख रुपये में सौदा तय किया था, जिसमें सभी आरोपियों को अलग हिस्सा मिला. यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर भी गंभीर चिंता जताती है. 


18 मई 2025 को CBSE से जवाहर नवोदय विद्यालय समिति के जूनियर सेक्रेटेरिएट अटेंडेंट पद के लिए आयोजित परीक्षा के दौरान यह फर्जीवाड़ा सामने आया. ग्रेटर कैलाश-1 के हेमकुंट कॉलोनी स्थित एक निजी स्कूल में बने परीक्षा केंद्र पर पुलिस को सूचना मिली कि एक उम्मीदवार की जगह कोई और परीक्षा दे रहा है. जांच में पता चला कि सुमित दहिया नाम का व्यक्ति, जो हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला है, अंकुर नाम के उम्मीदवार की जगह परीक्षा दे रहा था. सुमित को मौके पर ही हिरासत में लिया गया.


रैकेट के तार स्कूल के स्टाफ तक जुड़े


पुलिस की गहन छानबीन में इस रैकेट के तार स्कूल के स्टाफ तक जुड़े. सुमित ने खुलासा किया कि उसे एक मध्यस्थ ने 6 लाख रुपये देने का वादा किया था, ताकि वह अंकुर की जगह परीक्षा दे सके. इस सौदे में स्कूल के फिजिक्स टीचर बिमल कुमार सिंह (59 साल), ऑफिस सुपरिंटेंडेंट बलजीत सिंह (50 साल) और एक 40 साल महिला शामिल थीं. महिला ने स्कूल स्टाफ से संपर्क स्थापित कर 2 लाख रुपये में सुमित की एंट्री सुनिश्चित की. बिमल और बलजीत को 50-50 हजार रुपये दिए गए, ताकि सुमित बिना किसी रुकावट के परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर सके.


साउथ दिल्ली DCP अंकित चौहान के निर्देशन में SP दिनेश शर्मा की देखरेख में सब-इंस्पेक्टर संदीप, ASI कमलेश और हेड कॉन्स्टेबल गोपाल की टीम ने इस मामले की तह तक जाकर चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया. पुलिस ने सुमित के पास से अंकुर का मूल आधार कार्ड, एडमिट कार्ड और ओएमआर शीट भी बरामद की. जांच में यह भी पता चला कि महिला का स्कूल स्टाफ से पुराना संपर्क था, क्योंकि वह नेशनल ओपन स्कूल की परीक्षाओं के लिए फॉर्म भरवाने का काम करती थी.


मुख्य आरोपी अब भी फरार


पुलिस अब इस रैकेट के मास्टरमाइंड मध्यस्थ और मूल उम्मीदवार अंकुर की तलाश में जुटी है. साथ ही, यह जांच की जा रही है कि इस गैंग ने पहले किन-किन परीक्षाओं में इस तरह का फर्जीवाड़ा किया. इस घटना ने सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में नकल और धोखाधड़ी की गंभीर समस्या को उजागर किया है.


यह मामला शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है. परीक्षा केंद्रों पर कड़ी निगरानी, बायोमेट्रिक सत्यापन और पारदर्शी प्रक्रियाओं को लागू करना अब समय की मांग है. साउथ दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना हो रही है, और उम्मीद है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में और सख्त कदम उठाए जाएंगे.

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