उत्तर भारत में इस बार मानसून मेहरबान कम और कहर बरपाता ज्यादा नजर आ रहा है. खासकर हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश का असर अब दिल्ली की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी आजादपुर में साफ देखने को मिल रहा है. टमाटर, शिमला मिर्च, फूलगोभी जैसी सब्जियों की सप्लाई बुरी तरह लड़खड़ा गई है.
30% तक महंगी हुई हरी सब्जियां
हिमाचल से आने वाली प्रमुख सब्जियां, टमाटर, मटर, बंदगोभी अब मंडी में कम मात्रा में पहुंच रही है. नतीजन बीते दो-तीन दिनों में इनके दाम 20 से 30 फीसदी तक उछल गए हैं.
दिल्ली और हरियाणा के खेतों से भी सीजन खत्म होने की वजह से भिंडी, तोरई और धनिया जैसी सब्जियों की आवक धीमी पड़ गई है. सब्जियों में महंगाई का असर सबसे अधिक टमाटर की खरीदारी पर पड़ता नजर आ रहा है, जो एक बार फिर पाव में खरीदा जाने लगा है और लगातार इसकी कीमतें फिर से बढ़ती जा रही हैं.
बारिश, खेतों में पानी और ट्रांसपोर्ट ने बढ़ाई परेशानी
हिमाचल और दिल्ली में बारिश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के खेतों में पानी भरने और फसल कटाई में देरी के चलते सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ा है. इसके अलावा परिवहन लागत बढ़ने से भी दामों में इजाफा हुआ है. इस वजह से तोरई और भिंडी जैसी अन्य हरी सब्जियों के दाम में भी तेजी देखने को मिल रही है. जिसका सीधा असर आम आदमी की रसोई के बजट और थाली में परोसे जाने वाली सब्जियों पर पड़ रहा है.
कर्नाटक और महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट से महंगी हुई सब्जियां
टमाटर की कमी पूरी करने के लिए अब दिल्ली को बैंगलुरु और पुणे जैसे शहरों पर निर्भर होना पड़ रहा है. वहीं महाराष्ट्र के सांगली से गोभी और शिमला मिर्च की आपूर्ति हो रही है, लेकिन लंबा सफर और बढ़ता ट्रांसपोर्ट खर्च इन सब्जियों को महंगा बना रहा है.
हालांकि, आम जनता को कुछ राहत देने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) ने दिल्ली में 48 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बेचने की शुरुआत की है, जिससे फिलहाल टमाटर की आवक कम होने के बावजूद कीमत स्थिर बनी हुई है.
लेकिन जानकारों का कहना है कि जब तक पहाड़ी राज्यों से सप्लाई पटरी पर नहीं लौटती, तब तक सब्जियों की कीमतों में स्थिरता की उम्मीद करना मुश्किल है.
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