दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख, यौन शोषण से बचाई गई नाबालिगों के मामले में पुलिस से जवाब तलब

by Carbonmedia
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Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने यौन शोषण रैकेट से बचाई गई नाबालिग लड़कियों की हिरासत प्रक्रिया में कथित लापरवाही के मामले में दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों से जवाब मांगा है. जस्टिस रविंदर दुदेजा ने दो गैर सरकारी संगठनों द्वारा दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. 
कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत जरूरी प्रावधानों का पालन नहीं किया और बचाई गई लड़कियों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश नहीं किया जिसके कारण वे फिर से असुरक्षित माहौल में पहुंच गईं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में मांगा स्टेटस रिपोर्टदिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में संबंधित अधिकारियों को चार हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस सहित दो एनजीओ की तरफ से कोर्ट में दायर याचिका में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.याचिका में कहा गया है कि यौन शोषण रैकेट से बचाई गई नाबालिग लड़कियों की हिरासत प्रक्रिया में गंभीर कमियां थीं.
दिल्ली HC में दाखिल याचिका में गम्भीर आरोप दिल्ली हाई कोर्ट में दाख़िल याचिका के मुतबिक 4 दिसंबर और 12 दिसंबर, 2024 को एनजीओ ने दिल्ली के बुरारी इलाके में यौन शोषण रैकेट के खिलाफ छापेमारी में पुलिस की मदद की थी जिसमें आठ नाबालिग लड़कियों को बचाया गया था. हालांकि पुलिस ने इन लड़कियों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेश नहीं किया जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और मानव तस्करी रोकथाम कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है. 
याचिका में कहा गया कि बिना सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किए इन नाबालिग लड़कियों को छोड़ देना संवैधानिक गारंटी और इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है, जिसके जिसके परिणामस्वरूप इन लड़कियों के फिर से तस्करी के शिकार होने का खतरा है.
वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उठाया मुद्दा, नहीं हुई कार्रवाईएनजीओ ने इस मामले को पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों, जिसमें संयुक्त पुलिस आयुक्त भी शामिल हैं के सामने भी उठाया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की लापरवाही न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह उन नाबालिग लड़कियों के जीवन और सुरक्षा को भी खतरे में डालती है जिन्हें इस तरह के आपराधिक रैकेट से बचाया गया था. 
हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियों को स्थिति साफ करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करेगा और यह तय करेगा कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए.

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