दिल्ली नगर निगम में गुरुवार (11 जुलाई) को सदन की बैठक में एक खास प्रस्ताव पास हुआ है. इस प्रस्ताव के तहत GNCTD/DSIIDC से किया गया आवंटन/लीज या MSME उद्योग आधार पंजीकरण, दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अंतर्गत “स्वतः फैक्ट्री लाइसेंस” के रूप में मान्य होगा.
दिल्ली नगर निगम ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने के लिए, औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित इकाइयों के लिए फैक्ट्री लाइसेंसिंग प्रणाली को सरल बनाने के उद्देश्य से एक प्रमुख सुधार पारित किया है.
फैक्ट्री लाइसेंस लेने की आवश्यकता समाप्त
अब से, GNCTD/DSIIDC से स्थापित या मान्यता प्राप्त औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित औद्योगिक इकाइयों के लिए MSME उद्योग आधार पंजीकरण प्रमाणपत्र अथवा GNCTD/DSIIDC से जारी आवंटन/लीज डीड मान्य होगी. इसे 1957 की धारा 416/417 के अंतर्गत ‘स्वतः फैक्ट्री लाइसेंस’ के रूप में स्वीकार किया जाएगा.
इससे दिल्ली नगर निगम से अलग से फैक्ट्री लाइसेंस लेने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिससे उद्यमियों पर अनुपालन का बोझ कम होगा और नगर निगम के अनावश्यक निरीक्षणों में भी कमी आएगी.
सुरक्षा की जिम्मेदारी फैक्ट्री मालिक या प्रभारी पर होगी
साथ ही अग्नि सुरक्षा और संरचनात्मक मानदंडों के अनुपालन की जिम्मेदारी फैक्ट्री मालिक या प्रभारी पर होगी, जिन्हें सभी आवश्यक अनुमतियां संबंधित सक्षम प्राधिकरणों से प्राप्त करनी होंगी.
मौजूदा समय में फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क इकाई से उपयोग की जाने वाली विद्युत हॉर्सपावर (HP) के आधार पर तय किया जाता है, जिसके लिए अक्सर भौतिक निरीक्षण की आवश्यकता पड़ती है.
फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क को संपत्ति कर का 5% तय
नई व्यवस्था के अनुसार, अब फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क को संपत्ति कर का 5% तय किया जाएगा और इसे प्रत्येक साल संपत्ति कर के साथ एकत्र किया जाएगा, जिससे भुगतान और अनुपालन दोनों की प्रक्रिया आसान होगी.
निगम से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके तहत दिल्ली नगर निगम की संपत्ति कर पोर्टल में कुछ बदलाव किए जाएंगे, ताकि फैक्ट्री लाइसेंस निर्गमन को एकीकृत किया जा सके और भुगतान व अनुपालन की प्रक्रिया सरल हो सके.
इंस्पेक्टर राज को खत्म करने का निर्णय
इसको लेकर दिल्ली के महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है, जिसके अंतर्गत फैक्ट्री लाइसेंस रिन्यू करने की प्रक्रिया में इंस्पेक्टर राज को खत्म करने का निर्णय लिया गया है.
सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा कि नोटिफाइड औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री लाइसेंस को संपत्ति कर के साथ जोड़ दिया गया है, जिसके चलते फैक्ट्री मालिकों को वार्षिक संपत्ति कर का 5% लाइसेंस शुल्क के रूप में दिल्ली नगर निगम को देना होगा.
दिल्ली: MCD ने उद्दमियों को दी बड़ी राहत, फैक्ट्री लाइसेंस को लेकर बड़ा फैसला
2