दुनिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट गढ़चिरौली में बन रहा:भारत दूसरा बड़ा स्टील हब बन सकता है; पीएम ने इस जगह का जिक्र किया

by Carbonmedia
()

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज, 25 मई 2025 को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के काटेझरी गांव का जिक्र किया, जहां पहली बार बस पहुंची है। यह वही जिला है जहां JSW ग्रुप ने फरवरी 2025 में दुनिया के सबसे बड़े स्टील प्लांट की घोषणा की है। इसकी क्षमता 25 मिलियन टन होगी। इस स्टोरी में जानेंगे कि गढ़चिरौली का हाई क्वालिटी लौह अयस्क (आयरन ओर) किस तरह से भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आयरन ओर प्रोड्यूसर बनने में मदद कर सकता है। कैसे यह भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा, और आयात पर निर्भरता को कम करेगा… सवाल 1. गढ़चिरौली में आयरन ओर माइनिंग की शुरुआत कैसे हुई? जवाब: यहां लौह अयस्क की खोज सबसे पहले 1900 के दशक में जमशेदजी टाटा ने की थी। हालांकि, उस समय कोकिंग कोल की कमी के कारण टाटा ने जमशेदपुर को चुना। गढ़चिरौली में माओवादी प्रभाव के कारण खनन गतिविधियां शुरू नहीं हो पाई थीं, लेकिन पांच साल पहले लॉयड मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड (LMEL) ने पहली बार यहां खनन शुरू किया। LMEL के पास 1 बिलियन टन का लौह अयस्क भंडार है। अब जेएसडब्ल्यू और सूरजगढ़ इस्पात जैसी कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं। सवाल 2. गढ़चिरौली में आयरन ओर माइनिंग की क्या स्थिति है? जवाब: गढ़चिरौली, महाराष्ट्र का एक जिला, जो अपनी घनी जंगलों और माओवादी प्रभाव के लिए जाना जाता है। हालांकि, अब यहां माओवादी प्रभाव कम हो चुका है और ये जिला अब आयरन ओर माइनिंग का एक मेजर सेंटर बन रहा है। लॉयड मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड (LMEL) को हाल ही में 23 मई, 2025 को पर्यावरण मंत्रालय से 937 हेक्टेयर में एक आयरन ओर प्लांट स्थापित करने के लिए वन मंजूरी मिली है। इसके अलावा, जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने फरवरी 2025 में गढ़चिरौली में दुनिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट (25 मिलियन टन क्षमता) बनाने की घोषणा की है। इस परियोजना में 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा, और यह सात साल में पूरा होगा। पहला चरण चार साल में तैयार हो जाएगा। सवाल 3. गढ़चिरौली में माइनिंग से इंडियन इकोनॉमी को कैसे फायदा होगा? जवाब: गढ़चिरौली की हाई क्वालिटी आयरन ओर (64% रियलाइजेशन) भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आयरन ओर प्रोड्यूसर बनने में मदद कर सकता है। यह भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी। हाई क्वालिटी आयरन ओर कोकिंग कोल की जरूरत को कम करती है। 2024-25 में भारत का लौह अयस्क उत्पादन 3% बढ़कर 182.6 मिलियन टन हो गया। गढ़चिरौली में खनन से हजारों नौकरियां पैदा होंगी और यह भारत की हाल की उपलब्धि—जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने—को और मजबूत करेगा। सवाल 4. इस क्षेत्र में कौन-कौन से बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट चल रहे हैं? जवाब: LMEL ने 1 मई, 2025 को 85 किलोमीटर लंबी एक लौह अयस्क स्लरी पाइपलाइन शुरू की, जो प्रतिदिन 30,000 टन अयस्क को सूरजगढ़ से कोन्सारी गांव तक ले जाएगी। इसके अलावा, जून 2025 तक एक पेलेट-मेकिंग यूनिट भी शुरू होगी। इन तीनों परियोजनाओं के पूरा होने के बाद, गढ़चिरौली की कुल इस्पात उत्पादन क्षमता 33 मिलियन टन होगी, जो इसे भारत का एक प्रमुख इस्पात केंद्र बनाएगा। सवाल 5. स्किल्ड लेबर की कमी को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए हैं? जवाब: गोंदवाना विश्वविद्यालय (GU) ने 7 मई, 2025 को ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत जुलाई 2025 से खनन में तीन साल के डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू होंगे। यह पाठ्यक्रम GU, कर्टिन, और LMEL द्वारा संयुक्त रूप से डिज़ाइन किया गया है, ताकि स्थानीय युवाओं को खनन उद्योग के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। सवाल 6. भविष्य में गढ़चिरौली का खनन क्षेत्र कैसे विकसित होगा? जवाब: यदि सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों का समाधान हो जाता है, तो गढ़चिरौली एक प्रमुख इस्पात केंद्र बन सकता है। जेएसडब्ल्यू का संयंत्र और अन्य परियोजनाएं जिले की कुल इस्पात क्षमता को 33 मिलियन टन तक ले जा सकती हैं। यह भारत को 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद करेगा।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment