दुनिया में हर 2 मिनट में होती है 1 प्रेग्नेंट महिला की मौत, जानिए इसके बड़े कारण

by Carbonmedia
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दुनिया में हर दो मिनट में एक प्रेग्नेंट महिला की मौत हो जाती है. यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने अपनी एक रिपोर्ट में दी, जिसमें बताया गया कि 2023 के दौरान हर दो मिनट में एक गर्भवती महिला ने अपनी जान गंवा दी. यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, क्योंकि 2023 में ग्लोबल लेवल पर करीब 2.60 लाख महिलाओं की मौत प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान या बाद में हुई. हालांकि, साल 2000 से 2023 के बीच मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Ratio – MMR) में 40 फीसदी की कमी आई है. आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान अपनी जान क्यों गंवा देती हैं महिलाएं? 


मातृ मृत्यु क्या है?


डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मातृ मृत्यु उस महिला की मृत्यु है, जो गर्भावस्था के दौरान, डिलीवरी के वक्त या डिलीवरी के बाद 42 दिनों में अपनी जान गंवा देती है. इन मामलों का ताल्लुक प्रेग्नेंसी या उसके मैनेजमेंट से होता है. वहीं, अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स (ACOG) कई मामलों में मातृ मृत्यु को गर्भावस्था के एक वर्ष बाद तक की अवधि में होने वाली मृत्यु से भी जोड़कर देखते हैं. मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या को दिखाती है. 2023 में ग्लोबल MMR 197 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म था, जो कम आय वाले देशों में 346 और हाई इनकम वाले देशों में 10 था.


किस वजह से अपनी जान गंवाती हैं प्रेग्नेंट महिलाएं? 


रक्तस्राव (Hemorrhage): डिलीवरी के बाद ज्यादा ब्लीडिंग (Postpartum Hemorrhage) मातृ मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. ऐसे मामले भारत-पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों में ज्यादा मिलते हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 1990 में 1,14,000 महिलाओं की मृत्यु ब्लीडिंग की वजह से हुई थी, जो 2021 तक घटकर 47,000 रह गई. हालांकि, ग्लोबल लेवल पर अब भी यह मातृ मृत्यु का प्रमुख कारण है.


हाई ब्लडप्रेशर (Hypertensive Disorders): प्रीक्लेम्पसिया और एक्लेम्पसिया जैसे हाई ब्लड प्रेशर डिसऑर्डर गर्भवती महिलाओं में मृत्यु के प्रमुख कारण हैं. ये डिसऑर्डर दिमाग, किडनी और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.


मेंटल हेल्थ कंडीशन (Mental Health Conditions): मेंटल हेल्थ कंडीशन जैसे अवसाद, चिंता और प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum Depression) मातृ मृत्यु की प्रमुख वजह हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रेग्नेंट और डिलीवरी के बाद महिलाओं की मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग बढ़ाने की जरूरत है.


संक्रमण (Infections): प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद होने वाले इंफेक्शन जैसे सेप्सिस मातृ मृत्यु के एक अन्य प्रमुख कारण हैं. अपर्याप्त सफाई, कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की कमी और एंटीबायोटिक्स तक सीमित पहुंच इस खतरे को बढ़ाती हैं.


हार्ट से संबंधित दिक्कतें (Cardiovascular Conditions): हार्ट डिजीज और कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना) मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों में से हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव खून की मात्रा में इजाफे से हार्ट पर प्रेशर बढ़ सकता है.


कैसे कम कर सकते हैं मातृ मृत्यु दर?


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के दौरान रेगुलर जांच से खतरों की पहचान और उनका समाधान किया जा सकता है. वहीं, डिलीवरी के दौरान ट्रेंड डॉक्टरों की मौजूदगी से मातृ मृत्यु दर कम हो सकती है. गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार को आने वाले खतरों की जानकारी देकर दिक्कतों को दूर किया जा सकता है.


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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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